NIA Action: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने प्रतिबंधित संगठन उल्फा (आई) की ओर से असम में सेना के शिविर पर किए गए हमले में शामिल छह आतंकियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है. जिसमें से चार फरार है और दो को गिरफ्तार किया गया है. NIA ने इस आरोपपत्र में भारत विरोधी एजेंडे के तहत सेना के शिविरों को निशाना बनाने की साजिश का खुलासा किया गया है.


राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गहन जांच के बाद बुधवार (29, मई) को असम में उल्फा (आई) द्वारा सेना के शिविर पर किए गए आतंकी हमले से जुड़े 2023 के मामले में आईपीसी, यूए(पी) अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत छह आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है.


क्या है असम उल्फा-आई?


दरअसल, म्यांमार स्थित यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा-आई) एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है. उल्फा-आई ने 22 नवंबर 2023 को असम के तिनसुकिया जिले के काकोपर में स्थित सेना के शिविर पर हमले की साजिश रची थी. दो मोटरसाइकिल सवार युवकों ने सेना शिविर पर दो ग्रेनेड फेंके थे. हालांकि, इस हमले में कोई घायल नहीं हुआ था.


एनआईए ने कोर्ट को क्या बताया


एनआईए ने बुधवार (29 मई) को गुवाहाटी की विशेष अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया. उन्होंने बताया कि प्रतिबंधित संगठन के परेश बरुआ, एसएस ब्रिगेडियर अरुणोदय दोहुतिया, एसएस द्वितीय लेफ्टिनेंट सौरव असोम, एसएस कैप्टन अभिजीत गोगोई और दो अन्य लोगों ने सेना शिविर पर हमले की साजिश रची थी. NIA ने बताया कि पराग और बिजॉय को दिसंबर 2023 की शुरुआत में तिनसुकिया जिले से गिरफ्तार किया गया था, जबकि अन्य आरोपी फरार हैं.


आरोपपत्र में गहरी साजिश का हुआ खुलासा


इस आरोपपत्र ने म्यांमार स्थित उल्फा (आई) के शीर्ष नेतृत्व द्वारा रची गई गहरी साजिश को उजागर किया है. आरोप पत्र के माध्यम से प्रतिबंधित संगठन के नापाक, भारत विरोधी अलगाववादी एजेंडे के मकसद का भी पर्दाफाश हुआ है. एनआईए की जांच के अनुसार, उल्फा (आई) संगठन में युवाओं की भर्ती के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जा रहा था. साथ ही उन्हें आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता था. हमले में शामिल अन्य साजिशकर्ताओं और आरोपियों के सहयोगियों की पहचान करने और पूरे आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश करने के लिए एनआईए की जांच चल रही है.


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