राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने भारत में रोहिंग्या (Rohingyas) और बांग्लादेशी मुसलमानों (Bangladeshi Muslims) की मानव तस्करी के मामले में 6 लोगों के खिलाफ एनआईए की विशेष अदालत में चार्जशीट दायर कर दी है. सभी आरोपियों को इसी साल मार्च में गिरफ्तार किया गया था. सभी आरोपी भारतीय क्षेत्र में रोहिंग्या मुसलमानों की अवैध तस्करी में शामिल एक गिरोह का हिस्सा थे.


जांच से पता चला है कि आरोपी व्यक्ति भारत और बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में स्थित अन्य साजिशकर्ताओं के साथ मिलकर रोहिंग्या और बांग्लादेशी नाबालिग लड़कियों, महिलाओं की संगठित मानव तस्करी में शामिल थे. आरोपी व्यक्तियों ने रोहिंग्या पीड़ितों के लिए परिवहन, आवास, नकली दस्तावेजों की खरीद आदि की व्यवस्था की थी.


भारतीय पहचान दस्तावेजों के आधार पर रोहिंग्या मुसलमानों बसाते थे आरोपी


एनआईए ने बताया था कि यह गिरोह असम, पश्चिम बंगाल, मेघालय के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय था. आरोपियों की पहचान गिरोह के मुखिया कुमकुम अहमद चौधरी उर्फ केके अहमद चौधरी उर्फ असिकुल अहमद और सहालम लस्कर, अहिया अहमद बापन अहमद चौधरी और जमालुद्दीन अहमद चौधरी के रूप में हुई थी. एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि यह मामला जाली भारतीय पहचान दस्तावेजों के आधार पर रोहिंग्या मुसलमानों को भारतीय क्षेत्र में फिर से बसाने के लिए उनकी अवैध तस्करी से संबंधित है.


अवैध रूप से असम आने वाले 26 संदिग्ध रोहिंग्या हिरासत में लिए गए


इससे पहले 30 मई को असम पुलिस ने म्यांमा के 26 संदिग्ध रोहिंग्याओं को नौकरी की तलाश में "अवैध रूप से कछार जिले में प्रवेश" करने के आरोप में हिरासत में लिया था. पुलिस अधिकारी ने बताया कि तीन परिवारों के 26 लोग कथित तौर पर गुवाहाटी से तीन वाहनों में यहां पहुंचे थे और वे जम्मू से ट्रेन से कामाख्या रेलवे स्टेशन आए थे. पुलिस ने सिलचर शहर के पास रविवार को नियमित तलाशी के दौरान कारों को रोक कर जांच की और उन्हें हिरासत में ले लिया, क्योंकि उनके पास देश में प्रवेश करने के लिए वैध दस्तावेज नहीं थे.


पुलिस अधीक्षक (कछार) रमनदीप कौर ने बताया कि संभव है कि हिरासत में लिए गए लोगों का यहां कुछ स्थानीय लोगों से संपर्क हो, जिन्होंने शायद उन्हें काम दिलाने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि इन स्थानीय व्यक्तियों का पता लगाने के लिए जांच शुरू की गई है और उन्हें पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं. पुलिस के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि कथित तौर पर तीनों परिवारों ने बांग्लादेश से 2012 में पश्चिम बंगाल सीमा के रास्ते देश में प्रवेश किया था और शुरू में मालदा में शरण ली थी और उसके बाद वे लोग जम्मू चले गए थे.


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