NIA को मिली सफलता, आतंकी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लेफ्टिनेंट को किया गिरफ्तार
दोनों तरफ से चली गोलियों के दौरान मौके पर दो आतंकवादी भी मारे गए थे और अनेक आतंकवादी भाग खड़े हुए थे. इस मामले में पहले मणिपुर के जिला चंदेल के थाने चकपीकारोंग में एफआईआर दर्ज की गई थी.
नई दिल्ली: नवंबर 2017 में असम राइफल की रोड ओपनिंग पार्टी पर घात लगाकर हमला करने वाले आतंकवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के स्वयंभू लेफ्टिनेंट के रोमेश सिंह उर्फ कैस्पर को एनआईए ने गिरफ्तार किया है. साल 2017 में हुए इस हमले के बाद यह आरोपी भारत से भागकर म्यांमार में छिप गया था. गिरफ्तारी के बाद एनआईए ने उसे विशेष अदालत के सामने पेश किया, जहां से उसे पूछताछ के लिए 5 दिन की रिमांड पर भेजा गया है.
एनआईए के एक आला अधिकारी ने बताया कि यह वारदात 15 नवंबर 2017 को घटित हुई थी. जब आतंकवादी संगठन पीएलए/आरपीएफ के एक आतंकवादियों के दल ने चोमोल-साजिक तम्पक रोड, जिला चंदेल, मणिपुर में रोड ओपनिंग कर रही असम राइफल की चौथी बटालियन के कर्मियों पर हमला किया था. इस हमले के दौरान असम राइफल का एक सैनिक मारा गया था जबकि कई अन्य घायल हुए थे.
दो आतंकवादी मारे गए थे
दोनों तरफ से चली गोलियों के दौरान मौके पर दो आतंकवादी भी मारे गए थे और अनेक आतंकवादी भाग खड़े हुए थे. इस मामले में पहले मणिपुर के जिला चंदेल के थाने चकपीकारोंग में एफआईआर दर्ज की गई थी और बाद में इस मामले को साल 2018 में जांच के लिए एनआईए को सौंप दिया गया था. एनआईए ने इस मामले में विस्फोटक अधिनियम समेत अनेक अपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर अपनी जांच शुरू की.
जांच के दौरान एनआईए को पता चला कि इस मामले में पीएलए का स्वयंभू लेफ्टिनेंट कैस्पर उर्फ रोमेश भी शामिल है. जांच के दौरान यह भी पता चला कि रोमेश इस पूरी साजिश को रचने में तो शामिल था ही, साथ ही घात लगाकर हमला करने वाले आतंकवादी दल में भी वह शामिल था. एनआईए ने इस मामले में जब रोमेश की तलाश शुरू की तो पता चला कि वह देश छोड़कर फरार हो गया है. इस पर एनआईए ने रमेश कैस्पर के बारे में सूचना देने वाले को ₹2 लाख का नगद इनाम भी घोषित किया.
आरोपपत्र किया था पेश
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी वैसे वैसे एनआईए को मामले में और भी सबूत मिलते गए और एनआईए ने इस मामले में अपना आरोपपत्र भी कोर्ट के सामने पेश किया. जिसमें रमेश उर्फ कैस्पर को बतौर आरोपी शामिल किया गया था. एनआईए को जांच के दौरान यह भी पता चला कि रमेश 15 नवंबर 2017 को हमले के बाद म्यांमार भाग गया था.
ध्यान रहे कि इस आतंकवादी संगठन के कुछ कैंप म्यांमार बॉर्डर के पास भी बताए जाते हैं. एनआईए को पता चला कि रोमेश पीएलए/आरपीएफ की 252 मोबाइल बटालियन का कथित सक्रिय संचालक था और उसने अपने सह अभियुक्तों के साथ मिलकर टीम पर हमला किया था. एक सूचना के आधार पर एनआईए ने गुरुवार को कैस्पर को गिरफ्तार कर लिया और उसे इंफाल में विशेष अदालत के सामने पेश किया गया.
जहां से अदालत ने उसे पूछताछ के लिए 5 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. अब एनआईए जानना चाहता है कि इस आरोपी के अन्य सहयोगी कहां छुपे बैठे हैं और इनके आतंकवादी दल को किस तरह से कहां-कहां से सहायता मिलती रही है और देश छोड़कर फरार होने की इनके कौन से गुप्त रास्ते हैं. फिलहाल मामले की जांच जारी है.