NGO Terror Funding Case: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार (26 अप्रैल) तड़के मध्य कश्मीर के बडगाम जिले के खुर्रम परवेज के बंद एनजीओ ऑफिस पर छापा मारा. पुलिस के अनुसार, एनआईए की टीम ने बडगाम के दंडूसा इलाके में एनजीओ के दफ्तर में तलाशी ली. उन्होंने कहा कि, “दफ्तर लंबे समय से बंद था. वो 2021 से जेल में बंद हैं.
एनआईए ने जब्त किए दस्तावेज
परवेज जम्मू और कश्मीर गठबंधन ऑफ सिविल सोसाइटी (JKCCS) के संस्थापक और कार्यक्रम समन्वयक हैं. वो फिलीपींस की एशियन फेडरेशन अगेंस्ट इंवॉलंटरी डिसअपीयरेंस के अध्यक्ष हैं, जो 10 एशियाई देशों के 13 गैर-सरकारी संगठनों का एक समूह है. परवेज को 22 नवंबर, 2021 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार किया था.
एक अधिकारी ने छापेमारी की पुष्टि करते हुए कहा, "हां, एनआईए की टीम ने दंडूसा बडगाम में एनजीओ के दफ्तर में तलाशी ली, तलाशी के दौरान कुछ दस्तावेज जब्त किए गए हैं."यह छापेमारी एनजीओ टेरर फंडिंग मामले में की गई है. परवाज टेरर-फंडिंग मामले में पहले से ही जेल में है और बीते साल मई में उन पर चार्जशीट दाखिल की गई थी.
साल 2021 से हैं जेल में बंद
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद कश्मीरी कार्यकर्ता खुर्रम परवेज (Khurram Parvez) को 22 मार्च बुधवार 2023 को औपचारिक तौर से गिरफ्तार किया. वो देश विरोधी गतिविधियों की वजह से नंवबर 2021 से जेल में थे. 20 मार्च, 2023 को एनजीओ टेरर फंडिंग मामले में श्रीनगर से इरफान मेहराज की पहली गिरफ्तारी के बाद, राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने परवेज को गिरफ्तार किया था.
उन्हें 22 नवंबर 2021 को आतंकवाद और अन्य आरोपों में गिरफ्तार किया गया था. उन्हें 30 नवंबर और 4 दिसंबर 2021 को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया. इसमें खुर्रम परवेज को एनआईए की हिरासत से न्यायिक हिरासत में स्थानांतरित करने का फैसला किया. मार्च 2023 में उनकी औपचारिक गिरफ्तारी से पहले गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 43डी(2)(बी) के तहत नई दिल्ली में एनआईए की विशेष अदालत ने उनकी नजरबंदी को 5 बार बढ़ाया था.
खुर्रम परवेज को जनवरी 2023 में 2023 मार्टिन एननल्स अवार्ड के तीन प्राप्तकर्ताओं में से एक "उत्कृष्ट कार्यकर्ता जिन्होंने मानवाधिकारों का नेतृत्व किया" के रूप में नामित किया गया था. दो अन्य विजेता चाड के मानवाधिकार वकील डेल्फिन जिराबे और वेनेजुएला में स्वास्थ्य अधिकार कार्यकर्ता फेलिसियानो रेयना थे. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों सहित कई राष्ट्रीय और वैश्विक मानवाधिकार और नागरिक समाज संगठनों ने कई बार भारत से उन्हें रिहा करने की मांग की है.
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