NIA Special Court: केरल की विशेष एनआईए अदालत ने 2010 के उस सनसनीखेज मामले में छह दोषियों में से तीन को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसमें कॉलेज के एक प्रोफेसर का हाथ काट दिया गया था. अदालत ने इस घटना को आतंकवादी कृत्य करार दिया. 


राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने मामले की सुनवाई के दूसरे चरण के तहत 2010 में पीएफआई के कथित सदस्यों के हाथ काटे जाने के इस सनसनीखेज मामले में बुधवार (12 जुलाई) को 6 लोगों को दोषी ठहराया था. अदालत ने पांच अन्य को बरी कर दिया.


समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, प्रोफेसर टी जे जोसेफ का दाहिना हाथ साल 2010 में प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कथित कार्यकर्ताओं ने काट दिया गया था. घटना को लेकर प्रोफेसर जोसेफ कहते हैं कि इस घटना का उनके जीवन पर प्रभाव पड़ा है. उन्होंने बताया कि हमले के थोड़े दिन बाद ही उनकी नौकरी चली गई, जिसके परिणामस्वरूप उनकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली.


अदालत के फैसले पर क्या बोले प्रोफेसर जोसेफ?


अदालत के फैसले के बाद उन्होंने संवाददाताओं को बताया, ''किसी भी लड़ाई में नुकसान तो होता ही है. फिर चाहे वह जीतने वाला ही क्यों न हों, मेरी तरह... लेकिन मैं लड़ता रहूंगा.'' सुनवाई के पहले चरण में 13 लोगों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के साथ-साथ विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और भारतीय दंड सहिंता (आईपीसी) के तहत दोषी करार दिया गया था.


उन्होंने कहा कि जिन लोगों को पकड़ा गया और सजा दी गई 'वे सिर्फ मोहरे' हैं जबकि इस घटना के असली अपराधियों को ढूंढना अभी बाकी है. उन्होंने कहा, ''यह उनके खिलाफ है इसलिए मेरी लड़ाई जारी रहेगी.'' प्रोफेसर ने कहा कि उनकी (प्रोफेसर) तरह इस मामले में आरोपी भी पीड़ित ही हैं.


हमले के मुख्य आरोपी सवाद (हाथ काटने वाला आरोपी) के अभी भी फरार होने की वजह से जान को खतरा होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें कोई डर नहीं है. उन्होंने कहा, ''मैं डरा हुआ नहीं हूं. मैं अपनी शर्तों पर अपनी जिंदगी जी रहा हूं और भविष्य में भी ऐसा करता रहूंगा. अगर कोई आरोपी पकड़ा नहीं गया है तो यह सिर्फ तंत्र की विफलता को दर्शाता है.''


क्या है मामला?


दरअसल, इडुक्की जिले के तोडुपुझा में न्यूमैन कॉलेज के प्रोफेसर टी. जे. जोसेफ के दाहिने हाथ को चार जुलाई 2010 को मौजूदा प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन पीएफआई के कथित सदस्यों ने काट दिया था. यह हमला उस वक्त किया गया था जब वह (प्रोफेसर) अपने परिवार के साथ एर्नाकुलम जिले के मूवाट्टुपुझा स्थित एक चर्च से संडे की प्रेयर के बाद घर लौट रहे थे.


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