Terror Funding Case: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की टीम ने सोमवार (12 जून) को कुपवाड़ा में आतंकी फंडिंग मामले में जहूर अहमद शाह वटाली की 17 संपत्तियों को कुर्क कर दिया है. जहूर वटाली को 2017 में एजेंसी ने गिरफ्तार किया था. इस मामले में जेकेएलएफ कमांडर यासीन मलिक आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.  


वटाली को एनआईए ने साल 2017 में एक आतंकी फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया था और श्रीनगर शहर के बघाट इलाके में स्थित उसके घर को एजेंसी ने इस साल 31 मई को कुर्क कर दिया था. 30 मई 2017 को एनआईए ने टेरर फंडिंग के मामले में खुद ही संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था. 




टेरर फंडिंग मामले में कौन-कौन हैं आरोपी 



इससे पहले 2017 में जब एनआई ने इस मामले को लेकर केस दर्ज किया था तब यासीन मलिक के अलावा, हाफिज सईद, जमात-उद-दावा के अमीर और लश्कर-ए-तैयबा के टॉप कमांडर और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के टॉप कमांडर मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सैयद सलाहुद्दीन सहित 17 अन्य लोगों पर टेरर फंडिंग का आरोप लगा था. 


मलिक के लिए की थी फांसी की सजा की मांग 


वहीं, जांच एजेंसी एनआईए ने दिल्ली हाई कोर्ट में कश्मीरी अलगाववादी नेता और जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग की थी. हालांकि, कोर्ट ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि मौत की सजा केवल असाधारण मामलों में दी जानी चाहिए. मलिक को विभिन्न आरोपों में दोषी ठहराया गया था और मई 2022 में इस मामले में आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई गई थी. 


क्या है पूरा मामला?


टेरर फंडिंग का यह मामला जम्मू-कश्मीर में आईएसआई समर्थित संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) आदि की तरफ से संचालित आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ा है. इन संगठनों पर आतंक फैलाने का आरोप है. 


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