अहमदाबाद: अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में पिछले 24 घंटे में 9 नवजात शिशुओं की मौत हो गई है. कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर अस्पताल में विरोध प्रदर्शन किया, वहीं अस्पताल प्रशासन लापरवाही के आरोप को सिरे से खारिज कर रही है.  चुनावी मौसम में बच्चों की मौत का ये मामला सियासी रंग ले सकता है.


नौ नवजात शिशुओं की मौत के मामले में राज्य सरकार ने मौत के कारणों और इसके पहलुओं की जांच के आज आदेश दिये.


सरकार के मुताबिक पांच बच्चों को दूर दराज के क्षेत्र से लाया गया था और इन बच्चों में वजन कम होने जैसी कई जटिलताएं थीं जबकि कुछ को गंभीर प्राणघातक बीमारियां थीं. उनकी हालत गंभीर थी.


सरकारी रिलीज़ के मुताबिक, ''24 घंटे में नौ नवजात शिशुओं की मौत हो गयी. इनमें से पांच को लुणावाड़ा, सुरेंद्रनगर, माणसा, वीरमगाम, हिम्मतनगर से लाया गया था और इनकी हालत गंभीर थी. जन्म के समय से ही इनका वजन बेहद कम (1.1 किलोग्राम) था और ये बच्चे हायलीन मेम्ब्रेन डिजीज (सांस संबंधी समस्या), सेप्टीसीमिया (रक्त में संक्रमण) और डिसेमिनटेड इंट्रावस्कुलर कोएगुलेशन (खून का थक्का बनने और बहते खून को रोकने की क्षमता को प्रभावित करने वाली अवस्था) जैसी जटिलताओं से ग्रसित थे.'' इसके अलावा सिविल अस्पताल में जन्मे चार नवजात शिशुओं में जन्म के दौरान से अस्थमा और मेकोनियसम एस्प‍िरेशन जैसी गंभीर जटिलताएं थीं.


अस्पताल के अधिकारी ने बताया कि अस्पातल में बीते तीन दिन में 18 शिशुओं की मौत हुई है.


रिलीज़ के अनुसार चिकित्सा शिक्षा के उप निदेशक आर के दीक्षित की अध्यक्षता वाली एक समिति पूरे हालात और मौत के कारणों की जांच करेगी.


स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की प्रधान सचिव जयंती रवि ने कहा, ''स्थिति का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने आज गांधीनगर में वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बैठक की.'' उन्होंने कहा कि कुछ शिशुओं की हालत गंभीर थी और शायद दिवाली के कारण डॉक्टरों के छुट्टी पर होने के चलते दूर दराज के इलाकों से इन्हें सिविल अस्पताल लाना पड़ा था.


उन्होंने बताया कि समिति इन मौतों के लिए प्रारंभिक कारणों पर गौर करेगी और मुमकिन है कि एक दिन में अपनी रिपोर्ट देगी.


विज्ञप्ति में सरकार ने कहा, ''गर्भवती महिलाओं के कुपोषित होने के कारण गुजरात में अब भी जन्म के दौरान शिशुओं का अत्यधिक कम वजन होना चुनौती बना हुआ है.'' विज्ञप्ति के अनुसार अहमदाबाद सिविल अस्पताल में नवजातों की मौत की औसत संख्या प्रतिदिन पांच से छह है.