Farmers protest:किसानों-सरकार के बीच हुई नौवें दौर की बातचीत भी रही नाकाम, 19 जनवरी को होगी अगली बैठक
Farmers Protest: केंद्र सरकार की तरफ से सितंबर महीने में लाए गए तीन नए कृषि कानूनों खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 52वां दिन है. कल सरकार और किसानों के बीच नौवें दौर की बातचीत भी हुई लेकिन ये वार्ता भी बेनतीजा ही खत्म हो गई. अब अगले दौर की बातचीत 19 जनवरी को करने पर दोनों पक्षों में सहमति बनी है.
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सरकार और आंदोलनकारी किसान नेताओं के बीच एक बार फिर बातचीत बेनतीजा रही. सरकार ने एक बार फिर कृषि क़ानूनों में संशोधन का प्रस्ताव रखा लेकिन किसान नेता इन क़ानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर ही अड़े रहे. अब 19 जनवरी को सरकार और किसान नेताओं के बीच अगली बैठक होगी. ऐसे में दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन अभी जारी रहेगा क्योंकि सरकार और किसान नेताओं के बीच एक बार फिर सुलह का कोई रास्ता नहीं निकल पाया है.
9वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा ही रही
बता दें कि शुक्रवार को दोनों के बीच 9वें दौर की बातचीत में दोनों पक्षों ने अपना पुराना राग ही अलापा. सरकार ने दोहराया कि वो क़ानूनों में संशोधन के लिए तैयार है, जबकि किसान नेताओं ने क़ानून वापस लेने की मांग दोहराई. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से लचीला रुख़ अपनाने की अपील की. हालांकि बैठक में सरकार ने किसानों से अपना एक अनौपचारिक ग्रुप बनाने के लिए कहा ताकि सरकार के सामने ठोस प्रस्ताव रखा जा सके.
मंत्री पीयूष गोयल ने किसानों के हर सवाल का दिया जवाब
बैठक में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने तीन क़ानूनों में से एक, आवश्यक वस्तु संशोधन क़ानून के बारे में किसानों को विस्तार से बताया और किसानों के सवालों का जवाब दिया. बैठक में किसानों ने हरियाणा में कुछ किसानों पर हुई एफआईआर और पंजाब के कुछ ट्रांसपोर्टरों पर एनआईए (NIA ) की ओर से कार्रवाई करने का भी आरोप लगाया. 8 जनवरी को हुई पिछली बैठक में किसान नेताओं और सरकार के बीच बातचीत ख़त्म होने की कगार पर पहुंच गई थी क्योंकि किसानों ने क़ानूनों को वापस लिए जाने पर ही बात करने की शर्त रख दी थी.
किसानों नें सरकार को बातचीत जारी रखने का दिया प्रस्ताव
बैठक से पहले विज्ञान भवन पहुंचे किसान नेताओं के तेवर से लग रहा था कि वो आर पार के मूड में हैं लेकिन बैठक में न केवल उन्होंने सरकार की बात सुनी बल्कि बातचीत जारी रखने का प्रस्ताव भी दिया. इसकी बड़ी वजह सुप्रीम कोर्ट का आदेश बताया जा रहा है जिसमें कोर्ट ने किसानों से बातचीत के लिए एक कमिटी का गठन किया है. किसान कमिटी में नहीं जाना चाहते हैं और इसलिए कमिटी से बातचीत की बजाए सरकार से बात करना बेहतर समझ रहे हैं. 19 जनवरी की प्रस्तावित बैठक में एमएसपी पर किसानों की मांग को लेकर चर्चा होने की उम्मीद है.
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