(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
NIOS एग्जाम फ्रॉड मामले में CBI ने दाखिल की चार्जशीट, जानें क्या है पूरा मामला?
NIOS एग्जाम फ्रॉड मामले में जिन्होंने परीक्षा भी नहीं दी थी उन्हें भी पास दिखाया गया था. बाद में इस मामले की जांच सीबीआई ने शुरू की.
नई दिल्ली: नेशनल इस्टीट्यूट ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) में अप्रैल 2017 में आयोजित माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक परीक्षाओं के दौरान गड़बड़ घोटाले में सीबीआई ने कुल 8 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र मध्य प्रदेश के भोपाल जिले की विशेष अदालत के सामने दायर कर दिया है. इस मामले में आरोप है कि जिन परीक्षार्थियों को पास दिखाया गया था वह परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए थे.
सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक, आरोपपत्र में जिन आरोपियों के नाम शामिल किए गए हैं उनमें आशीष मेसी, मनोज कुमार बोरा, राजेश कुमार, संदीप कुमार, धनीराम, भास्कर मेथी, राहुल कुमार और अनीश कुमार यादव के नाम शामिल हैं.
सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक, मामला नेशनल इस्टीट्यूट ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) की अप्रैल 2017 में में हुई परीक्षा में धांधली से जुड़ा हुआ है. इस मामले में आरोप लगा था कि मध्य प्रदेश के सीहोर रतलाम और उमरिया जैसे तीन परीक्षा केंद्रों पर उक्त यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में बड़ी संख्या में ऐसे छात्र शामिल नहीं हुए थे जिन्हें यूनिवर्सिटी द्वारा पास दिखाया गया था .
यह भी आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने छात्रों के परीक्षा केंद्रों उत्तर पुस्तिका आदि की उपस्थिति सीट में जालसाजी और हेराफेरी की. आरोपियों द्वारा कथित रूप से अनुपस्थित विद्यार्थियों की अनुपयोगी उत्तर पुस्तिकाओं का इस्तेमाल किया गया. इस मामले में काफी हो-हल्ला मचने के बाद सीबीआई ने 23 जुलाई 2018 को जांच के लिए मामला दर्ज कर लिया.
जांच के बाद सीबीआई ने इस मामले में अपना पहला आरोपपत्र दो मुख्य आरोपियों के खिलाफ 13 मई 2019 को कोर्ट के सामने दाखिल किया था. सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक, पहला आरोपपत्र दायर होने के बाद भी सीबीआई की जांच इस मामले में जारी रही और अब इस मामले में आठ और आरोपियों को सीबीआई की जांच में दोषी पाया गया. लिहाजा इन सभी के खिलाफ अब सीबीआई की विशेष अदालत के सामने आरोप पत्र दायर किया गया है मामले की जांच अभी भी जारी है.
ध्यान रहे कि सरकारी परीक्षा क्षेत्रों में भी गड़बड़ घोटाले के कई मामले लगातार सामने आते रहे हैं. इनमें मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाला, उत्तर प्रदेश में हुआ यूपी पीएससी घोटाला आदि के नाम मुख्य रूप से शामिल हैं.
विशेष बात यह है कि इन घोटालों में जो परीक्षार्थी पूरी तरह से उपयुक्त है काबिल है उसका हक मारा जाता है. सिफारिश और पैसों के बल पर ऐसे परीक्षार्थी जो किसी भी तरह से काबिल नहीं होते उन्हें डिग्री या सरकारी नौकरी हासिल हो जाती है. ऐसे घोटाले जब भी हो हल्ला मचने के बाद जांच के लिए आते हैं तो आधे मामलों की तो जांच ही पूरी नहीं हो पाती. सबसे बड़ा सवाल खड़ा रहता है कि जिन योग्य परीक्षार्थियों का हक मारा गया आखिर उन्हें न्याय कैसे मिलेगा?