देश के 6 राज्यों के चमगादड़ों में मिली निपाह वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी, स्टडी में हुआ खुलासा
पिछले साल 2021 के दौरान केरल में निपाह वायरस के मामले बढ़े, लेकिन अब भारतीय वैज्ञानिकों को छह राज्यों के चमगादड़ों में एंटीबॉडी मिली हैं.
देश के दक्षिण राज्यों में पिछले चार साल के दौरान तीन-तीन बार निपाह वायरस के मामले सामने आए. पिछले साल 2021 के दौरान केरल में नपाह वायरस के मामले बढ़े, लेकिन अब भारतीय वैज्ञानिकों को छह राज्यों के चमगादड़ों में एंटीबॉडी मिली हैं. संक्रमण की चपेट में आने के बाद यह एंटीबॉडी विकसित होती हैं. हालांकि, राहत की खबर ये है कि इनमें से किसी भी चमगादड़ में जीवित वायरस नहीं मिला है.
निपाह वायरस से बनने वाली एंटीबॉडी की पहचान
जानकारी के मुताबकि, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, ओडिशा, पुडुचेरी और केरल में चमगादड़ों को पकड़ कर उनके ब्लड सैंपल लेकर जब लैब में जांच की गई, तो करीब 20 फीसदी चमगादड़ों में निपाह वायरस से बनने वाली एंटीबॉडी की पहचान हुई. इससे यह पता चला है कि ये हाल में कभी निपाह संक्रमण से संक्रमित हुए होंगे.
चमगादड़ में वायरस जीवित अवस्था में नहीं मिला
हालांकि, किसी भी चमगादड़ में वायरस जीवित अवस्था में नहीं मिला है, लेकिन वैज्ञानिकों ने देश के प्रत्येक राज्य से निगरानी बढ़ाने की सलाह दी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद अब भविष्य में संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि उनकी बेहतर तरीके से निगरानी की जाए, ताकि यहां से संक्रमण फल-फूल के जरिए समाज तक नहीं पहुंच सके.
छह राज्यों से 573 चमगादड़ों के नमूने एकत्रित किए
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने बताया कि जनवरी से लेकर नवंबर 2019 के बीच छह राज्यों से 573 चमगादड़ों के नमूने एकत्रित किए. वहीं, 255 चमगादड़ों से ब्लड सैंपल लेकर सीरो पॉजिटिविटी की जांच भी की गई. इसके बाद परिणाम की समीक्षा से पता चला कि 51 चमगादड़ों में निपाह वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई. उन्होंने बताया कि निपाह वायरस, महामारी फैलने की क्षमता वाले रोगजनकों में से एक है, हालांकि प्रसार को लेकर कोरोना वायरस की तुलना में यह संक्रमण बहुत धीमा है.
मेडिकल जर्नल एल्सेवियर में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि निपाह वायरस के तीन मामले लगातार वर्षों में दक्षिण राज्य केरल में सामने आए हैं. डॉ. प्रज्ञा यादव का कहना है कि केरल एक प्रकार से निपाह बेल्ट माना जाता है. वहां यह संक्रमण तीन इंसानों में मिला है, लेकिन अब तक उसके स्रोत के बारे में पता नहीं चला. यह एक प्रकार से संकेत भी हो सकता है जो भविष्य को लेकर किसी बड़ी चुनौती से बचने की जानकारी दे रहा हो.
भारत में निपाह संक्रमण-
- साल 1998 से लेकर 2018 के बीच भारत, मलेशिया और बांग्लादेश में 700 से भी ज्यादा मामले सामने आए.
- साल 2001 से 2019 के बीच भारत ने निपाह वायरस के चार-चार बार प्रसार देखा है.
- साल 2001 में पश्चिम बंगाल में निपाह वायरस के मरीज पहली बार मिले थे. उस दौरान मृत्यु दर 74 फीसदी दर्ज की गई. साल 2007 में यह बीमारी फैली और मृत्यु दर 100 फीसदी तक रही.
- बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, केरल और ओडिशा में अब तक कई मामले मिले हैं.
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