दिल्ली के मशहूर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर मोहसीन वली के मुताबिक, वायरस को केरल तक रोक देना ही सबसे कारगर उपाय है. उन्होंने कहा है कि वायरस को बढ़नसे रोकनेके लिए केरल से आने वाले सभी लोगों की जांच की जानी चहिए. खास तौर पर बीस दिन पहले जो लोग आए हैं उनकी भी निगरानी की जाए.
निपाह वायरस: नर्स की गई जान, केरल सरकार उनके बच्चों को देगी 10 लाख रुपये का मुआवजा
उन्होंने कहा कि अस्पतालों में डॉक्टरों को भी सचेत रहने की जरूरत है. अगर बेहोशी की हालत में कोई मरीज आता है तो उसके लक्षण के आधार पर उसका इलाज करें. बता दें कि इस वायरस के संपर्क में आने से 28 साल की लिनी नाम की एक नर्स की भी मौत हो गई. नर्स की मौत के बाद केरल सरकार ने उनके बच्चे को 10 लाख रुपये मुआवजा देने और पति को सरकारी नौकरी देने का प्रस्ताव दिया है.
वायरस से बचने के लिए क्या करें?
- केरल से जो केले आ रहे हैं उनको खाने से बचे और अच्छे से धोकर खाएं. इतना ही नहीं खजूर न खाए या धोकर खाएं. बता दें कि रमजान के महीने में खजूरों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है.
- निपाह वायरस बहुत तेजी से फैलता है और दिमाग में पहुंचकर जानलेवा हो जाता है, ऐसे में साफ सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
- बार-बार हाथ और पैर धोते रहें. बाहर से घर वापस आने तक बिना हाथ-पैर धोए किसी चीज़ को न छुएं.
- निपाह वायरस का लक्षण मिलने पर तुरंत अपने डॉक्टर से इलाज कराएं.
निपह वायरस का पहला मामला कब सामने आया?
साल 1998 में निपह वायरस का पहला मामला मलेशिया में सामने आया था. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक सूअरों के जरिए ये बीमारी सामने आई.
भारत में कब सामने आया निपह वायरस का पहला मामला?
भारत में इससे जुड़ा पहला मामला साल 2001 में पश्चिम बंगाल में सिल्लीगुड़ी जिले में सामने आया था. वहीं निपह वायरस का दूसरा मामला पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में साल 2007 में सामने आया था. ये दोनों जिले बांग्लादेश के बॉर्डर से करीब हैं. रिपोर्ट्स की निपह वायरस का ये तीसरा मामला केरल में सामने आया है.