बिहार के बक्सर जेल में तैयार हो रहा निर्भया के मुजरिमों के लिए मौत का फंदा
निर्भया के मुजरिमों के पास सीमित कानूनी विकल्प बचे हैं. सारी कानूनी औपचारिकताएं करीब पूरी होने को हैं. बस ब्लैक वारंट जारी होने के बाद फांसी की सजा का एलान कर दिया जाएगा. लेकिन उनकी सजा का सामान बिहार के जेल में तैयार हो रहा है.
साल 2013 के बाद बक्सर जेल एक बार फिर चर्चा में है. इस बार निर्भया केस के मुजरिमों के लिए यहां रस्सी तैयार हो रही है. इससे पहले बक्सर जेल से ही अफजल गुरु को फांसी देने के लिए रस्सी भेजी जा चुकी थी. जिसके बाद 2013 में अफजल गुरु को फांसी पर लटका दिया गया. अब एक बार फिर निर्भया के मुजरिमों के लिए बक्सर जेल से रस्सी की व्यवस्था की जा रही है. बक्सर जेल के सजायाफ्ता मुजरिम ओवरटाइम रस्सी बनाने के काम में लगे हुए हैं. जेल अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने बताया कि उनके वरिष्ठों ने फांसी की दस रस्सियों को तैयार करने का आदेश दिया है. लेकिन किस जेल में रस्सियों को भेजा जाना है इसके बारे में उन्हें नहीं पता है. हमें जैसा आदेश दिया गया है वैसा हम कर रहे हैं.
फांसी की रस्सी बनाने में दक्षता की होती है जरुरत
सूत्रों का कहना है कि अफजल गुरु की फांसी की रस्सी तैयार करने वाले मुजरिमों में अभी भी कई बचे हुए हैं. उन्हें इस प्रकार की रस्सियों को तैयार करने में दक्षता है. एक रस्सी तैयार करने में सात कैदियों को तीन से चार दिन लगता है. जिस रस्सी से अफजल गुरु को फांसी दी गई थी उस रस्सी की कीमत 1725 रुपये थी. मगर इस बार महंगाई के चलते फांसी की रस्सी की कीमत बढ़ा दी गई है.
आपको बता दें कि फांसी की रस्सी को विशेष रूप से तैयार किया जाता है. इसके लिए बक्सर जेल के आसपास का क्षेत्र काफी उपयुक्त है. पहले फांसी की रस्सियों को ‘मनीला रस्सी’ के नाम से पुकारा जाता था. मनीला रस्सी को बनाने का इतिहास 1930 से है. मनीला रस्सी से होनेवाली फांसी कभी भी नाकाम साबित नहीं हुई है. रस्सी को तैयार करने में जिस धागे का इस्तेमाल किया जाता है उसे मानपुर, गया से मंगाया जाता है.