नई दिल्ली : घटना आम नहीं थी और फैसला भी आम नहीं होने वाला था. निर्भया के दोषियों को फांसी की मांग हो रही थी और उम्मीद भी थी कि अदालत इस मामले में कोई दूसरा फैसला नहीं सुनाएगी. लेकिन, जैसे ही फैसला आया, लोगों का सब्र टूट गया कोर्टरूम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.


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इससे पहले जब साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने जब पहला फैसला सुनाया था तब दिल्ली और देश के कई कोनों से लोग वहां पहुंचे हुए थे. उन्हें सुनना था कि दिल्ली के दरिंदों के साथ अदालत ने क्या किया. फांसी की सजा के बाद कई लोगों की आंखें नम हो गई थी.


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आज, अदालती कार्रवाई जब शुरू हुई तो सभी सांसे रुकी हुई थी. अदालत में आते ही न्यायमूर्ति ने कहा कि एक जज का फैसला अलग है, तो लोगों की धड़कनें बढ़ गई थीं. लेकिन, बेंच ने जब फैसला पढ़ना शुरू किया तो लोगों की उम्मीद बढ़ने लगी और फिर भावनाओं पर कोई काबू नहीं कर पाया.


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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 'सदमे की सुनामी' बता दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसे गुनहगारों को सख्त से सख्त सजा मिलनी ही चाहिए. न्यायमूर्ति ने फैसला सुनाने के दौरान पूरे मामले की जानकारी भी दी. एक-एक शब्द का भार लोग महसूस कर रहे थे. यही कारण था कि सु्प्रीम कोर्ट के अंदर जो नजारा आज देखा गया वह इससे पहले कभी नहीं देखा गया था.