नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्भया मामले में दोषी पवन की तरफ से दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उसने कहा था कि घटना के वक्त उसकी उम्र 18 साल से कम थी. यानी कि वह नाबालिग था. पवन की याचिका के मुताबिक निचली अदालत ने उस को दोषी करार देते हुए इस तथ्य को अनदेखा किया था. हाईकोर्ट ने पवन की याचिका खारिज करने के साथ ही पवन के वकील एपी सिंह के ऊपर कोर्ट को गुमराह करने और कोर्ट का वक्त बर्बाद करने के मामले में ₹25,000 का जुर्माना भी लगाया. साथ ही दिल्ली बार एसोसिएशन से कहा केएपी सिंह के खिलाफ कार्रवाई भी करे.
सुबह की सुनवाई के दौरान सफल होती दिखी दोषियों की चाल
हालांकि हाईकोर्ट की सुनवाई से पहले सुबह भी कोर्ट में पवन की याचिका पर सुनवाई हुई थी. तब कोर्ट ने उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी के लिए टाल दी थी. 24 जनवरी अगली तारीख का मतलब साफ था कि जब 7 जनवरी को इस मामले की दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई होती तो पवन की तरफ से दलील दी जाती कि उसकी याचिका हाईकोर्ट में लंबित है और जब तक उसका निपटारा नहीं हो जाता तब तक कोर्ट उसको लेकर कोई आदेश या डेथ वारंट जारी ना करें.
निर्भया के माता-पिता ने दोषियों की चाल को किया बेनकाब
पवन की इस मंशा को समझते हुए निर्भया के माता-पिता ने हाईकोर्ट में एक और अर्जी लगाई. अर्ज़ी के ज़रिए दिल्ली हाईकोर्ट को बताया गया कि पवन की तरफ से लगाई गई याचिका सिर्फ वक्त को बर्बाद करने के लिए है, जिससे कि उसकी फांसी और टल जाए. इसी आधार पर निर्भया के माता-पिता ने आज ही हाईकोर्ट से पवन की याचिका का निपटारा करने की मांग की. निर्भया के माता-पिता की मांग को मानते हुए कोर्ट ने जब पवन के दस्तावेजों को देखा और सरकारी वकील की दलील सुनी तो पवन की याचिका को खारिज कर दिया.
सरकारी वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि पवन की तरफ से जो याचिका दायर की गई है यह कोई पहली बार इस मुद्दे को नहीं उठाया गया. निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पवन की तरफ से यह बात कही जाती रही है और किसी कोर्ट ने कोई संज्ञान नहीं लिया था. लिहाजा इस याचिका को खारिज किया जाए क्योंकि यह सिर्फ कोर्ट का वक्त बर्बाद करने के लिए और फांसी की सजा को टालने के लिए है.
निचली अदालत को जारी करना है दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट
गौरतलब है कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 18 दिसंबर को ही सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल प्रशासन से 1 हफ्ते में सभी दोषियों को नोटिस जारी कर उनके कानूनी विकल्प इस्तेमाल करने को लेकर जवाब मांगने को कहा था. इसके बाद तिहाड़ जेल प्रशासन ने सभी दोषियों को नोटिस जारी कर दिया है और अब उस नोटिस के जवाब में सभी दोषियों को बताना होगा कि उनका अब कौन सा कानूनी विकल्प बाकी रह गया है और क्या वह उसका इस्तेमाल करना चाहते हैं या नहीं. क्योंकि जैसे ही कानूनी विकल्प खत्म होंगे कोर्ट निर्भया के हत्यारों के खिलाफ जारी करेगा डेथ वारंट यानी फांसी की तारीख और वक्त तय हो जाएगी.