नई दिल्ली: क्या निर्भया के हत्यारों की फांसी की तारीख पर लगी अनिश्चितकालीन रोक हट जाएगी ! दिल्ली हाई कोर्ट में आज हुई सुनवाई के बाद यह सवाल खड़ा हो रहा है. दिल्ली हाई कोर्ट ने आज केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से दायर उस याचिका पर विशेष सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार, तिहाड़ जेल प्रशासन और चारों दोषियों को नोटिस जारी कर कल दोपहर 3 बजे तक जवाब देने को कहा है. वैसे तो शनिवार और रविवार को हाई कोर्ट में छुट्टी होती है लेकिन इस मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने आज और कल इस मामले पर विशेष सुनवाई करने का फैसला किया है.


क्या थी केंद्र सरकार की दलील


सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हो रहे सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा कि यह दोषी कानून का दुरुपयोग कर वक्त बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं. यह एक ऐसा केस बन गया है जिसको सिर्फ इस वजह से भी याद रखा जाएगा कि किस तरह से निर्भया के निर्मम हत्यारों ने कानून का दुरुपयोग कर वक्त बर्बाद किया. केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाई कोर्ट में दलील लेते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने 2018 में ही तिहाड़ जेल के नियमों में बदलाव किया था और उसी का यह लोग फायदा उठा रहे हैं. उस बदलाव के तहत मामले में 1 से ज्यादा दोषी होने पर अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती, सब को एक साथ ही फांसी देनी होगी. इसी बदलाव का फायदा उठाते हुए निर्भया के ये हत्यारे एक-एक कर अदालत में कोई ना कोई अर्जी लगाए जा रहे हैं और मामला लंबित होने की बात कहकर फांसी को टलवाते जा रहे हैं.


अभी दोषियों के पास क्या-क्या विकल्प हैं मौजूद


* मुकेश के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं क्योंकि अदालत उसकी सभी याचिकाएं खारिज कर चुकी है. राष्ट्रपति भी दया याचिका खारिज कर चुके हैं. इतना ही नहीं राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ दायर याचिका भी सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुकी है.


* विनय की क्यूरेटिव याचिका भी सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुकी है और राष्ट्ररपति ने दया याचिका भी खारिज कर दी है.


* वहीं अक्षय की भी क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुकी है और उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है.


* निर्भया के हत्यारे पवन ने तो अभी तक क्यूरेटिव याचिका दायर नहीं की है. लिहाज़ा उसके पास क्यूरेटिव याचिका और दया याचिका का विकल्प मौजूद है.


केस को लंबा खींचने के लिए कर रहे हैं हर संभव कोशिश


इतना ही नहीं यह दोषी तो राष्ट्रपति के फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर उस पर जुडिशल रिव्यू की मांग करते रहे हैं जैसे कि मुकेश ने की थी. ऐसे में अभी विनय और अक्षय भी केस को लंबा खींचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जुडिशल रिव्यू की मांग कर सकते हैं. हालांकि मौजूदा नियमों के हिसाब से राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के बाद दोषी के पास 14 दिन का वक्त होता है और इस 14 दिनों में वह जुडिशल रिव्यु से लेकर अपने परिवार से मिलने तक की मांग कर सकता है.


क्या हाई कोर्ट देगा दोषियों को एक-एक कर फांसी पर लटकाने का आदेश


ऐसे में अब केंद्र सरकार की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट यह तय करेगा कि क्या निचली अदालत ने जो अनिश्चितकालीन फांसी की तारीख टालने का आदेश दिया है वह सही है या नहीं. अगर हाई कोर्ट को लगता है कि वह आदेश सही नहीं है तो निचली अदालत को निर्देश दिया जाएगा कि वह एक नया डेथ वारंट जारी करे जिसमें दोषियों के फांसी का दिन और वक्त मुकर्रर किया जाए. इतना ही नहीं हाई कोर्ट में बहस के दौरान दलीलें इस बात पर भी दी गई कि हाई कोर्ट यह भी तय करें क्या दिल्ली सरकार ने 2018 में दिल्ली जेल प्रिजन मैनुअल में जो बदलाव किया था वह सही था या नहीं. अगर हाई कोर्ट को लगता है कि वह ठीक नहीं था तो हाई कोर्ट दिल्ली सरकार द्वारा किए गए उस संशोधन को संविधान के खिलाफ मानकर खारिज भी कर सकती है. अगर ऐसा होता है तो फिर अलग-अलग दोषियों को अलग-अलग फांसी भी दी जा सकेगी.


निचली अदालत ही जारी कर सकता है डेथ वारंट


लेकिन यहां यह साफ कर देना जरूरी है कि नया डेथ वारंट हाई कोर्ट जारी नहीं कर सकता उसके लिए निचली अदालत में ही मामला जाएगा और वहीं से नया डेथ वारंट जारी हो सकेगा.


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