नई दिल्ली: निर्भया मामले में दिल्ली हाइकोर्ट बुधवार दोपहर 2.30 बजे केन्द्र सरकार की तरफ से दायर उस याचिका पर अपना फैसला देगी जिसमें केन्द्र सरकार ने निचली अदालत द्वारा निर्भया के हत्यारों के डेथ वारंट पर अनिश्चितकालीन रोक लगाने का आदेश दिया था.


केन्द्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार ने दलील देते हुए कहा था कि इस मामले में अगल-अलग दोषियों को अलग-अलग वक्त पर फांसी दी जा सकती है. क्योंकि निचली अदालत ने तिहाड़ जेल के जिस नियम का हवाला देकर निर्भया के हत्यारों की फांसी अनिश्चितकालीन वक्त के लिए टाल दी थी वो नियम कानूनी विकल्प के इस्तेमाल तक ही प्रभावी माना जा सकता है और जैसे ही मामला राष्ट्रपति के पास दया याचिका के तौर पर पहुंचता है तो फिर वो नियम प्रभावी नहीं रह जाता.


जेल प्रिजन के नियम का हवाला देकर निचली अदालत ने लगाई थी फांसी पर रोक
गौरतलब है कि निचली अदालत ने दिल्ली जेल प्रिजन मैनुअल के हिसाब से अपने आदेश में कहा था कि ऐसा मामला जहां पर एक से ज्यादा दोषी हो उनको एक साथ ही फांसी के फंदे पर लटकाया जा सकता है, क्योंकि इस मामले में एक दो दोषियों के पास अभी भी कानूनी विकल्प से लेकर दया याचिका तक का विकल्प मौजूद है लिहाजा फांसी अगले आदेश तक टाली जा रही है.


अभी दोषियों के पास क्या क्या विकल्प हैं मौजूद?
मुकेश के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं. क्योंकि अदालत उसकी सभी याचिकाएं खारिज कर चुकी है और राष्ट्रपति भी दया याचिका खारिज कर चुके हैं. इतना ही नहीं राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ दायर याचिका भी सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुकी है.


विनय की क्यूरेटिव याचिका भी सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुकी है. और राष्ट्ररपति ने दया याचिका भी खारिज कर दी है. वहीं अक्षय की भी क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुकी है. और उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है.


निर्भया के हत्यारे पवन ने तो अभी तक क्यूरेटिव याचिका तक दायर नहीं की है. लिहाज़ा उसके पास क्यूरेटिव याचिका और दया याचिका का विकल्प मौजूद है.