निर्भया कांड फैक्ट ऑन रिकार्ड: फांसी देने में महीनों का समय लग सकता है
राजनीतिक पार्टियां कुछ भी बयानबाजी कर रही हों लेकिन सच्चाई यह है कि सरकारों की लापरवाही के चलते इस मामले में पहले ही फांसी देने मे देरी हो चुकी है और दस्तावेज बताते हैं कि इस मामले में अभी भी महीनों का समय लग सकता है.
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नई दिल्ली: निर्भया मामले के गुनहगारों को फांसी देने के मामले में संसद से लेकर सड़क तक हो रहा हंगामा केवल दिखावा प्रतीत हो रहा है. सच्चाई यह है कि इस मामले के आरोपियों को फांसी देने में लगातार कार्रवाई करने पर महीनों का समय लग सकता है और केंद्र और दिल्ली सरकार की लापरवाही के चलते यह समय सीमा और बढ़ सकती है.
संसद से लेकर सड़क तक एक बार फिर निर्भया मामले के आरोपियों को फांसी दिए जाने की मांग हो रही है. आलम यह है कि सभी राजनीतिक पार्टियां इस मामले में अपनी अपनी रोटियां सेंक रही हैं औऱ एक से बढ़ कर एक बयानबाजी की जा रही है. राजनीतिक पार्टियां कुछ भी बयानबाजी कर रही हों लेकिन सच्चाई यह है कि सरकारों की लापरवाही के चलते इस मामले में पहले ही फांसी देने मे देरी हो चुकी है और दस्तावेज बताते हैं कि इस मामले में अभी भी महीनों का समय लग सकता है.
इस मामले का फैक्ट आन रिकार्ड बताता है कि मामले के आरोपियों को फांसी दिए जाने को लेकर पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया था लेकिन इसके बाद दिल्ली और केंद्र सरकार के कान पर कोई जूं नही रेंगी जिसके चलते इस मामले के एक आरोपी पवन गुप्ता ने फिर से मामले को उलझाने की कोशिश कर दी. तिहाड जेल प्रशासन को फांसी की सजा पाए कैदी विनय शर्मा की तरफ से दिया गये पत्र में साफ तौर पर लिखा गया है कि इस मामले का एक आरोपी पवन गुप्ता जो कि मडांवली जेल में बंद है उसने दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी उम्र को लेकर एक याचिका लगाई है जो कि पैंडिग है. तिहाड जेल को दिए पत्र में यह दावा भी किया गया है कि उसकी उम्र को लेकर दिल्ली पुलिस ने भी जांच की थी और उसमें दावा सही पाया गया था. दावे के मुताबिक इस याचिका को 5 अप्रेल 2019 को दायर किया गया था जो अभी लंबित है.
विनय शर्मा ने इस मामले में राष्ट्रपति के पास दया याचिका पिछले महीने लगाई थी जबकि मामले के अन्य तीन आरोपियों ने अभी तक दया याचिका नहीं लगाई है कानून के मुताबिक यदि एक आरोपी की भी दया याचिका लंबित रहती है तो किसी भी आरोपी को फांसी पर नहीं चढाया जा सकता.
ये दस्तावेज भी तिहाड़ जेल का है जो बताता है कि जब इस मामले के आरोपियों को सजा देने के लिए कोई भी सरकार आगे नहीं बढी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के डेढ साल बाद यानि 29अक्टूबर 2019 मे तिहाड़ जेल प्रशासन ने आरोपियों को नोटिस जारी कर के कहा कि वे अपनी दया याचिका सात दिनों के भीतर राष्ट्रपति के पास लगा दें अन्यथा ये माना जायेगा कि वो याचिका नहीं लगाना चाहते. इसके जवाब में विनय शर्मा ने मामले को उलझाते हुए जेल प्रशासन को पत्र दिया और अपनी मर्सी पिटीशन राष्ट्रपति को भेजने को कहा. तिहाड़ जेल के डीआईजी राजकुमार ने इस बारे मे एबीपी न्यूज से कहा कि चारों आरोपियों की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है. दया याचिका लगाए जाने की समय सीमा भी बीत चुकी है . विनय ने दया याचिका लगाई है और पवन के मामले मे हाईकोर्ट से चेक किया जा रहा है कि उम्र को लेकर कोई याचिका वहां पैडिंग है या नहीं.
मामले से जुडे एक आला अधिकारी ने कहा कि इस मामले में अभी इतने कानूनी बिंदू बाकी है कि यदि उनपर तत्काल कार्रवाई शुरू की जाए तो फांसी देने मे महीनों का समय लग सकता है अधिकारी ने कहा कि यदि केद्र औऱ दिल्ली सरकार चाहे तो यह समय सीमा घट सकती है लेकिन सियासी रोटियां सेकने मे लगे राजनेता अपने नंबर बनाने की तैयारी मे है ना कि इंसाफ दिलाने की.
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