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निर्भया केस: नए डेथ वारंट पर आज पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई, चारों दोषियों के सभी कानूनी विकल्प खत्म
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक किसी दोषी की दया याचिका खारिज होने के कम से कम 14 दिन बाद ही उसे फांसी दी जा सकती है.ऐसा माना जा रहा है कि इस बार जो तारीख तय होगी, उसमे दोषियों की फांसी हो जाएगी.
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नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट निर्भया के हत्यारों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी करने की मांग वाली तिहाड़ जेल प्रशासन और निर्भया के परिवार की अर्जी पर आज आदेश सुना सकती है. अगर आज अदालत निर्भया के चारों हत्यारों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी करती है तो यह चौथा डेथ वारंट होगा. निर्भया का परिवार उम्मीद कर रहा है कि यह इन दोषियों के खिलाफ आखिरी डेथ वारंट होगा, और इस डेथ वारंट में जो दिन और वक्त मुकर्रर किया जाएगा उस दिन निर्भया के हत्यारों को फांसी के फंदे पर लटकाया जा सकेगा. क्योंकि निर्भया के सभी हत्यारों के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं ऐसे में अब उनकी फांसी ज्यादा दूर नहीं है. सुनवाई दोपहर दो बजे होगी.
निर्भया के दोषियों के सभी कानूनी और संवैधानिक विकल्प बुधवार को खत्म हो गए. कल राष्ट्रपति ने चौथे दोषी पवन की दया याचिका खारिज कर दी. ऐसे में अब चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी करने में कोई बाधा नहीं है. 14 दिन बाद की किसी भी तारीख को फांसी के लिए तय किया जा सकता है. 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली की सड़कों पर निर्भया के साथ गैंग रेप करने और उसकी जान लेने वाले चारों दोषियों को 2013 में ही निचली अदालत ने फांसी की सजा दे दी थी. 2014 में हाई कोर्ट और 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की पुष्टि की. इसके बाद एक-एक करके सभी दोषियों की पुनर्विचार याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी.
आखिरकार, इस साल 22 जनवरी को चारो दोषियों को फांसी देने के लिए डेथ वारंट जारी किया गया. लेकिन इसके बाद दोषियों ने कानूनी प्रक्रिया का ऐसा इस्तेमाल शुरु कर दिया, जिसके बारे में कभी सोचा ही नहीं गया था. मुकेश, विनय और अक्षय ने एक-एक करके सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका लगाई. और उसके खारिज हो जाने के बाद राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी. फांसी के मामलों में मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक किसी एक FIR में दोषी करार दिए गए सभी लोगों की फांसी एक साथ ही हो सकती है. इसलिए, इस मामले में जब भी किसी एक दोषी ने कोई कानूनी या संवैधानिक विकल्प इस्तेमाल किया तो सब की फांसी पर रोक लग गई.
22 जनवरी के बाद 1 फरवरी और फिर 3 मार्च की तारीख कोर्ट ने फांसी के लिए तय की. लेकिन 2 मार्च को कोर्ट को एक बार फिर फांसी पर रोक लगाने के लिए बाध्य होना पड़ा. पवन जिसने राष्ट्रपति को अब तक दया याचिका नहीं भेजी थी, उसने इस विकल्प का इस्तेमाल कर लिया. अब राष्ट्रपति ने पवन की दया याचिका भी ठुकरा दी है. ऐसे में किसी भी दोषी के पास अब कोई विकल्प नहीं बचता है.
तिहाड़ जेल प्रशासन ने निचली अदालत को राष्ट्रपति के फैसले की जानकारी दे दी है. कोर्ट ने चारों दोषियों को इस पर नोटिस जारी कर दिया है. आज दोपहर 2 बजे मामले की सुनवाई होगी. इस बात की पुष्टि होने के बाद कि डेथ वारंट जारी करने में कोई अड़चन नहीं है, जज फांसी की तारीख तय कर देंगे.
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