नई दिल्ली: "डाक्टर साब मुझे बल्ब देख कर नींद नही आती. डाक्टर साब मुझे बेहद कमजोरी महसूस हो रही है. मैं खाना नहीं खाऊंगा, मुझे भूख नहीं लगती." रात की जगह दिन में तीन बजे सोना और पूरी रात सलाखों के बाहर एकटक देखना और फिर घबरा कर चक्कर लगाने लगना. "तुम्हारी दया याचिका खारिज हो गई है", ये बात सुनते ही एकदम सन्नाटे के साथ बताने वाले अधिकारी को घूरते रहना. ये कुछ वाकये हैं, जो निर्भया के चारों दोषियों की मौत के अंतिम दिनों के दौरान घटित हो रहे हैं और अब जल्द ही इन वाकयों पर भी मौत का पहरा बैठने वाला है.
निर्भया के वे चार आरोपी जिन्हे कोर्ट ने सजा देते हुए कहा था. ये सजा इनकी हैवानियत को देखकर दी जा रही है ऐसा जघन्य अपराध जो आज तक ना देखा गया और ना सुना गया. अपराध करते हुए तो ये जल्लाद हंस रहे थे, लेकिन अब मौत को सामने देख कर ये जल्लाद मेमने बन गए हैं और तिहाड़ जेल की चारदीवारी के भीतर इनकी जिंदगी की पटकथा का अंतिम पैरा लिखा जा रहा है. आलम ये है कि ये चारों अब किसी भी आने वाली आहट को मौत की आहट समझते हैं.
तिहाड़ जेल सूत्रों के मुताबिक पहले इन चारों को उम्मीद थी कि कोई ना कोई रास्ता निकल आयेगा और ये फांसी से बच जाएंगे, लेकिन जैसे ही चारों को पता चला कि सभी की दया याचिका खारिज हो गई है, तो चेहरो पर सन्नाटा फैल गया है और रतों की नींद उड़ गई है.
सूत्रों के मुताबिक जैसे ही इन चारों को जेल नंबर तीन मे लाया गया तब ही इन्हें अहसास हो गया था कि सब ठीक नहीं चल रहा है क्योंकि दूसरी जेलों में इन्हें दूसरे कैदियो ने बताया था कि फांसी घर जेल नंबर तीन मे ही है और अपने अंतिम समय में कैदी को वहीं ले जाया जाता है.
सूत्रों ने बताया कि जेल बदलने के साथ ही चारों दोषियों की शिकायते और सवाल दोनों बढने लगे हैं और अब ये चारों ऐसे-ऐसे हालात जेल अधिकारियों और डाक्टरों को बताते हैं, जिनसे साफ पता चलता है कि इन लोगों में मौत का खौफ धीरे-धीरे बढ़ रहा है.
सूत्रों के मुताबिक इनमें से एक आरोपी ने स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान कहा कि डाक्टर साब मुझे बल्ब देख कर नींद नहीं आती और इनमें से ज्यादातर कुछ समय के लिए सोए हुए मिलते हैं और रातों को लगातार सलाखों के पीछे दूर देखने की कोशिश करते हैं और फिर घबरा कर फांसी सेल मे चक्कर काटने लगते हैं.
दोषियों ने अब तक कैसी कैसी शिकायतें की हैं?
- तिहाड़ जेल सूत्रों के मुताबिक इनकी अब तक की शिकायतों में शामिल है
- मैं खाना नही खाऊंगा मुझे भूख नहीं लगती
- मेरी जेल नंबर चार के फंला कैदी से बात कराओ
- इसी केस के दूसरे आरोपी से बात कराओ
- मुझे डरावने सपने आ रहे हैं
- मैं बार बार दूसरे सेल में नहीं जाऊंगा
- मुझे कहां ले जा रहे हो, ये रास्ता कहां जाता है. मुझे बताते नहीं हो.
इसी प्रकार उनके सवाल भी बढ रहे हैं
- कोर्ट का क्या फैसला आया है ?
- फांसी रूक गई ना ?
- जेलर साब फांसी कोई जरूरी थोड़े है ?
- वकील साब आ गए क्या ?
जब जेल प्रशासन ने दोषियों को बताया कि उनकी दया याचिका खारिज हो गई है तो चेहरे पर सन्नाटा फैल गया और वो खबर देने वाले अधिकारी को लगातार घूरने लगे.
जेल के एक आला अधिकारी ने कहा कि हमारी पूरी कोशिश रहती है कि उनके सारे सवालों का कानून के दायरे मे उचित जवाब दिया जाए और उनकी कांउसलिंग कर उनके स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखा जाए. हम हर दया याचिका खारिज होने पर या कोर्ट से फैसला उनके खिलाफ आने पर उन्हें पूरी जानकारी देते हैं, जिससे वो मानसिक तौर पर खुद को तैयार रख सकें.
जेल सूत्रों के मुताबिक तिहाड़ के जेल नबंर तीन के फांसीघर मे जल्लाद ने फांसी की अंतिम तैयारियां शुरू कर दी हैं. फांसीघर में एक साथ चार फंदे लगाए गए हैं और जल्लाद और जेल अधिकारी लगातार फांसी का डमी परीक्षण कर रहे हैं, जिससे अंतिम समय में कोई कमी ना रह जाए. खुद डीजी तिहाड़ भी फांसीघर का मुआयना कर चुके हैं और जेल प्रशासन फांसी दिए जाने की अंतिम रणनीति तैयार कर रहा है, क्योंकि अब इनकी मौत का दिन मुकर्रर हो चुका है और उसपर अंतिम मुहर लग चुकी है.
जेल सूत्रों के मुताबिक फांसी के दस रस्से मक्खन में भिगोकर जेल नंबर तीन के उप जेल अधीक्षक के कमरे में रखे गए हैं और अब जल्लाद और जेल प्रशासन को अंतिम ब्लैक वारंट का इंतजार है और इन दंरिदो की फांसी के साथ ही कहा जाने लगेगा एक थी निर्भया.