इस साल भी नहीं होगी निर्भया के दोषियों को फांसी, माता-पिता 7 साल से कर रहे हैं इंतजार
निर्भया के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए अक्षय के वकील की दलील है कि उनके पास अभी भी कानूनी विकल्प मौजूद हैं. कोर्ट ने कहा कि क्योंकि इस मामले में अभी भी दोषियों के पास कानूनी विकल्प मौजूद हैं लिहाज़ा डेथ वारंट जारी से पहले हमको थोड़ा सा इंतजार करना चाहिए.
नई दिल्ली: निर्भया मामले पर दोषियों को इस साल भी सजा नहीं मिलेगी. अदालत की एक और तारीख मिल गई है. यह तारीख 7 जनवरी 2020 की है. आज सुप्रीम कोर्ट और पटियाला हाउस कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर सबकी नज़र थी. इससे पहले निर्भया मामले के दोषी अक्षय ठाकुर की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया. जिसके बाद नजर टिकी थी दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के ऊपर, क्या पटियाला हाउस कोर्ट आज निर्भया के चारों हत्यारों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करता है या नहीं.
कानूनी विकल्प के मौजूद रहते नहीं जारी हो सकता डेथ वारंट
मामले की सुनवाई शुरू होते ही निर्भया के हत्यारों के वकील की तरफ से कहा गया कि अभी उनके पास और भी कानूनी विकल्प मौजूद हैं और जब तक वह कानूनी विकल्प खत्म नहीं हो जाते तब तक अदालत जल्दबाजी में उनके खिलाफ डेथ वारंट जारी न करे.
निर्भया के माता-पिता के वकील ने की डेथ वारंट जारी करने की मांग
हालांकि निर्भया के माता-पिता के वकील की दलील थी कि अदालत को डेथ वारंट जारी करना चाहिए. अगर कोई भी दोषी अपने किसी कानूनी विकल्प का इस्तेमाल करता है तो फिर ऊपरी अदालत उस डेथ वारंट पर रोक लगा सकती है. लेकिन निचली अदालत को सिर्फ इस वजह से वारंट जारी करने से नहीं रुकना चाहिए कि क्योंकि दोषी अभी अपने कानूनी विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं.
कोर्ट ने कहा कि जल्दबाजी में डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता
मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा कि क्योंकि इस मामले में अभी भी दोषियों के पास कानूनी विकल्प मौजूद हैं लिहाज़ा डेथ वारंट जारी से पहले हमको थोड़ा सा इंतजार करना चाहिए. कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वह दोषियों को एक हफ्ते में अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी करें, जिसमें दोषी बताएं कि क्या वह अपने कानूनी विकल्प का इस्तेमाल करना चाहते हैं या नहीं.
दोषियों की मामले को लंबा खींचने की कोशिश जारी
निर्भया के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए अक्षय के वकील की दलील है कि उनके पास अभी भी कानूनी विकल्प मौजूद है. अभी तो सिर्फ पटियाला हाउस कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को दोषियों को नोटिस जारी कर उनका पक्ष जानने को कहा है. जब नोटिस जारी किया जाएगा तो वह अपना पक्ष जेल प्रशासन को बता देंगे और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दायर की जाएगी. फिर क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाएगा. अगर फैसला उनके पक्ष में नहीं आता तो फिर राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाने का अधिकार भी उनके पास में मौजूद है. ऐसे में उनकी कोशिश यही होगी कि दोनों ही विकल्पों का इस्तेमाल किया जाए और इन विकल्पों को किसी समय सीमा में नहीं बांधना चाहिए.
घटना के 7 साल बाद भी निर्भया के माता-पिता कर रहे दोषियों की फांसी का इंतजार
मतलब साफ है कि निर्भया के हत्यारों को सजा मिलने में अभी कुछ वक्त और लगेगा. निर्भया के माता-पिता घटना के 7 साल बाद भी उस दिन के इंतजार में अदालत के चक्कर काट रहे हैं जब अदालत से डेथ वारंट जारी हो और निर्भया के हत्यारों को फांसी की सजा मिले. लेकिन कानूनी पेचीदगियों के चलते हैं अदालत में तारीख मिल रही है. इस सब के बीच 1 साल और गुजर गया जब निर्भया के हत्यारों को फांसी की सजा नहीं दी जा सकी.