क्या-क्या और हथकंडे अपनाएंगे निर्भया के कातिल, अब पहुंचे ICJ
स बीच दोषियों के वकील ने आज एक नया दांव खेलने की कोशिश की. वकील ए पी सिंह ने दावा किया कि कुछ एनजीओ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में इस मामले को लेकर पहुंच गए हैं. उनका कहना था कि इस मामले में भारत की अदालतों ने जल्दबाजी दिखाई और दोषियों के हक में जाने वाली बातों की उपेक्षा की. इसलिए, मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाया गया है.
नई दिल्ली: निर्भया मामले के दोषियों की फांसी की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे उन्हें बचाने के लिए अजीबोगरीब याचिकाएं सामने आ रही हैं. आज दोषियों के वकील ने दावा किया कि कुछ एनजीओ इस फांसी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में पहुंच गए हैं. वही दोषियों के परिवार ने राष्ट्रपति को अर्जी भेजकर अपने लिए इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है. इस बीच दोषी मुकेश की एक अर्ज़ी को सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने आज मना कर दिया.
मुकेश की कोशिश नाकाम चारों दोषियो की फांसी 20 मार्च को सुबह 5.30 बजे होनी है. उससे पहले एक दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल कर दोबारा क्यूरेटिव लगाने की अनुमति मांगी थी. लेकिन कोर्ट ने इस पर विचार करने से मना कर दिया. मुकेश के वकील मनोहर लाल शर्मा ने वकील वृंदा ग्रोवर पर मुकेश को डरा कर पहले दाखिल क्यूरेटिव पर दस्तखत कराने का आरोप लगाया. यह याचिका 14 जनवरी को खारिज हुई थी. लेकिन जज इस दलील से आश्वस्त नहीं हुए. ऊपर से यह भी पाया गया कि खुद शर्मा जो हलफनामा लेकर आए हैं, उस पर मुकेश की जगह उसके भाई सुरेश का दस्तखत था. ऐसे में कोर्ट ने कहा कि यह अर्जी सुनवाई के लायक ही नहीं है. इसके बाद मनोहर लाल शर्मा ने अर्जी को वापस ले लिया.
इंटरनेशनल कोर्ट जाने का दावा इस बीच दोषियों के वकील ने आज एक नया दांव खेलने की कोशिश की. वकील ए पी सिंह ने दावा किया कि कुछ एनजीओ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में इस मामले को लेकर पहुंच गए हैं. उनका कहना था कि इस मामले में भारत की अदालतों ने जल्दबाजी दिखाई और दोषियों के हक में जाने वाली बातों की उपेक्षा की. इसलिए, मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाया गया है, हालांकि, एबीपी न्यूज़ के यह पूछने पर कि भारत के किसी आपराधिक मुकदमे पर अंतरर्राष्ट्रीय न्यायालय भला कैसे विचार कर सकता है, वकील के पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं था.
इच्छा मृत्यु की मांग ऐसी ही एक और अजीबोगरीब अर्ज़ी चारों दोषियों के परिवार की तरफ से राष्ट्रपति को भेजी गई है. इसमें मांग की गई है कि राष्ट्रपति उन्हें इच्छा मृत्यु की इजाजत दें. कुल 13 लोगों- मुकेश के परिवार के 2, पवन-विनय के 4-4 और अक्षय के परिवार के 3 सदस्यों ने इच्छा मृत्यु की इजाज़त देने की दरख्वास्त की है. उनका कहना है कि दोषियों के साथ न्याय नहीं हुआ. इसलिए, परिवार को भी मरने दिया जाए.
हालांकि, इस चिट्ठी का कानूनन कोई मतलब नहीं है. कानून में इस तरह की इच्छा मृत्यु का कोई प्रावधान नहीं है.
वकील ने नई कोशिश के दिये संकेत आज एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए दोषियों के वकील ने साफ संकेत दिए कि वह एक बार फिर 20 मार्च की फांसी को टलवाने की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा कि पवन के साथ जेल में मारपीट की गई थी. इस बारे में उसकी शिकायत निचली अदालत में लंबित है. अगर कोर्ट पुलिस को इस शिकायत पर FIR दर्ज करने का आदेश देता है, तो जांच के दौरान शिकायतकर्ता यानी पवन के बयान की जरूरत पड़ेगी. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि विनय ने दिल्ली के उपराज्यपाल के पास अपनी सजा को उम्रकैद में बदलने की अर्जी भेजी है. उस पर भी फैसला नहीं हुआ है.
ऐसे में हो सकता है कि इन अलग-अलग अर्ज़ियों को आधार बनाकर दोषियों की तरफ से एक बार फिर फांसी को रुकवाने की कोशिश की जाए. लेकिन आज की तारीख में फांसी पर कोई रोक नहीं है. 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे चारों दोषियों की फांसी तय नजर आ रही है.
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