नई दिल्ली: निर्भया के हत्यारे अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी. चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने व्यक्तिगत कारणों से खुद को मामले से अलग कर लिया. कल सुबह 10:30 बजे दूसरी बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी. चीफ जस्टिस ने कहा कि कल ही इस अर्जी पर फैसला दे दिया जाएगा.


आज क्या हुआ


आज दोपहर करीब 2:15 पर चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस आर भानुमति और अशोक भूषण की बेंच मामले की सुनवाई करने बैठी. दिल्ली पुलिस के तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए. दोनों ने कोर्ट को बताया कि वह दिल्ली पुलिस की तरफ से पक्ष रखेंगे. इसके बाद अक्षय के वकील ए पी सिंह ने बोलना शुरू किया. उन्होंने कहा, ''इस मामले में मीडिया और लोगों के दबाव में फैसला लिया गया था. अक्षय की बातों पर पूरी तरह से ध्यान दिए बिना उसे सजा दे दी गई.''


जब ए पी सिंह दलीलें रख रहे थे, तभी जजों ने इस मामले में बाकी तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज होने को लेकर पिछले साल आए फैसले को खोला. चीफ जस्टिस की नजर इस बात पर गई कि तब उनका एक करीबी रिश्तेदार बतौर वकील निर्भया के परिवार के लिए पेश हुआ था. इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा, ''मैं मामले की सुनवाई नहीं कर सकता. कल सुबह 10:30 बजे सुनवाई के लिए दूसरी बेंच बैठेगी. आदेश कल ही दे दिया जाएगा.''


क्या थी घटना


16 दिसंबर 2012 को 23 साल की फिजियोथेरेपी छात्रा अपने एक दोस्त के साथ फिल्म 'लाइफ ऑफ़ पाई' देखने गई. रात साढ़े 9 बजे मुनिरका में वो एक चार्टर बस में सवार हुई. बस में सवार ड्राइवर समेत 6 लोग दरअसल मौज-मस्ती के इरादे से निकले थे. वो लड़की को बस के पिछले हिस्से में ले गए. जहाँ सब ने बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया. गैंगरेप की इस पूरी घटना के दौरान इन लोगों ने पीड़िता के साथ जानवरों से भी बदतर बर्ताव किया. उसके गुप्तांग में लोहे का सरिया भी डाला गया. जिससे उसकी आंत बाहर निकल आई. शरीर के अंदरूनी हिस्सों को काफी नुकसान पहुंचा.


रात 11 बजे उन्होंने निर्भया और उसके दोस्त को बस से धक्का दे दिया. लड़की को बेहद गंभीर हालत में हस्पताल में भर्ती किया गया. उसके शरीर के अंदरूनी हिस्से जंग लगे लोहे की रॉड से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके थे. उसे बेहतर इलाज के लिए केंद्र सरकार के खर्चे पर सिंगापुर ले जाया गया. वहां 29 दिसंबर को उसकी मौत हो गयी.


सुप्रीम कोर्ट का फैसला


वारदात को अंजाम देने वाले 6 लोगों में से राम सिंह की जेल में मौत हो गयी थी. एक नाबालिग दोषी बाल सुधार गृह में 3 साल बिता कर रिहा हो गया. ऐसे में निचली अदालत और हाई कोर्ट में 4 लोगों पर मुकदमा चला. दोनों अदालतों ने चारों को फांसी की सज़ा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा.


5 मई 2017 को दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, "ये घटना इस दुनिया की लगती ही नहीं. ये ऐसी दुनिया की घटना लगती है जहां इंसानियत मर चुकी हो. दोषियों की नज़र में पीड़िता इंसान नहीं, सिर्फ एक मज़े का सामान थी."


3 दोषियों की रिव्यू ठुकरा चुका है SC


9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट 3 दोषियों मुकेश, विनय और पवन की पुनर्विचार याचिका खारिज कर चुका है. तब कोर्ट ने माना था कि दोषी ऐसी कोई बात रखने में नाकाम रहे, जिसकी वजह से फैसले को बदलना ज़रूरी लगे. उस वक्त अक्षय ने पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी. 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों को फांसी की सज़ा दी थी. अब अक्षय ने फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है.


फांसी पर कल निचली अदालत में सुनवाई


निर्भया के परिवार ने निचली अदालत से चारों दोषियों का डेथ वारंट निकालने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट में अक्षय की पुनर्विचार याचिका लंबित होने के चलते निचली अदालत के जज सतीश कुमार अरोड़ा ने सुनवाई 18 दिसंबर दोपहर 2:00 बजे तक के लिए डाल दी थी. कल सुबह सुप्रीम कोर्ट अक्षय की अर्जी पर सुनवाई कर आदेश दे देगा. ऐसे में निचली अदालत के जज को सुनवाई करने में कोई अड़चन नहीं होगी. निर्भया के परिवार को उम्मीद है कि कल निचली अदालत से दोषियों का डेथ वारंट जारी कर देगा.