सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के दोषी पवन के नाबालिग होने का दावा ठुकराया, फांसी से बचने की एक और कोशिश नाकाम
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए पवन के वकील ए पी सिंह पर कोर्ट को गुमराह करने के लिए 25 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया था.
नई दिल्लीः निर्भया के गुनहगार पवन की फांसी से बचने की एक और कोशिश नाकाम हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने घटना के वक्त नाबालिग होने के पवन के दावे को ठुकरा दिया है. पवन का कहना था कि 16 दिसंबर 2012 को वह नाबालिग था. इसलिए, उसे फांसी नहीं दी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस दलील को पहले भी विस्तार से सुना जा चुका है. अब दोबारा सुनवाई की ज़रूरत नहीं है.
निचली अदालत ने निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड के चारों दोषियों को 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी देने का वारंट जारी किया है. उससे पहले दोषी फांसी से बचने की तमाम कोशिशें कर रहे हैं.
घटना के वक्त बालिग
ऐसी ही कोशिश के तहत आज पवन की तरफ से दावा किया गया कि दिल्ली पुलिस ने उसके खिलाफ दुर्भावना से कार्रवाई की. उसे घटना के वक्त बालिग करार दिया. निचली अदालत ने भी उसकी बात नहीं सुनी.
पवन के वकील ए पी सिंह ने यूपी के अंबेडकर नगर के एक स्कूल से हासिल एक सर्टिफिकेट दिखाया. इसमें पवन की जन्म की तारीख 1996 की दर्ज है. वकील ने दावा किया कि इस जानकारी को पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट से छुपाया था.
दिल्ली पुलिस के वकील का बयान
इसका विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "पवन के नाबालिग होने का दावा निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ठुकरा चुके हैं. यह सर्टिफिकेट पहले भी सुप्रीम कोर्ट में रखा जा चुका है. पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस सर्टिफिकेट को देखा था और बकायदा अपने फैसले इसे खारिज किया था."
पवन के वकील का पक्ष
पवन के वकील ए पी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा, "नाबालिग होने की दलील कभी भी कोर्ट में रखी जा सकती है." इस पर 3 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रही जस्टिस भानुमति ने कहा, "हां, ऐसा किया जा सकता है. लेकिन सवाल कि कितनी बार कितनी बार आप एक ही बात को कोर्ट के सामने लेकर आएंगे? कितनी बार एक ही दस्तावेज के आधार पर राहत की मांग की जाएगी."
वकील का दावा किया कि इस बार उन्होंने कुछ नए दस्तावेज रखे हैं. इसका विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अब इस स्टेज पर किसी नए दस्तावेज को देखना न्याय के खिलाफ होगा.
दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाया था जुर्माना
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए पवन के वकील ए पी सिंह पर कोर्ट को गुमराह करने के लिए 25 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया था. साथ ही, वकील के गैर प्रोफेशनल आचरण के लिए बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भी कहा था. इस पर बार काउंसिल सिंह को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
आज वकील ने सुप्रीम कोर्ट में अपने खिलाफ हाई कोर्ट की टिप्पणियों का भी मसला उठाया. इस पर बेंच के सदस्य जस्टिस अशोक भूषण ने कहा, "आप इस याचिका के साथ यह मसला नहीं उठा सकते. आपको हाई कोर्ट की तरफ से की गई टिप्पणियों से दिक्कत है तो उसके बारे में अलग से याचिका दाखिल करें. हम उस पर सुनवाई करेंगे."
क्यूरेटिव याचिका हो चुका है खारिज
मामले के 4 दोषियों में से 2 विनय और मुकेश की क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है. अब तक पवन और अक्षय ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल नहीं की है. मुकेश ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी थी. राष्ट्रपति याचिका को खारिज कर चुके हैं. विनय, पवन और अक्षय ने अब तक राष्ट्रपति से अब तक दया की गुहार नहीं की है.
दोषियों के पास मौजूद विकल्प को देखते हुए अभी यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि 1 फरवरी को उनको फांसी लग ही जाएगी. पहले भी निचली अदालत ने 22 जनवरी को फांसी की तारीख तय की थी, जिसे आगे बढ़ा दिया गया था.
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