नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप मामले में गुनाहगार पवन गुप्ता की फांसी से बचने की एक और कोशिश नाकाम हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने गैंगरेप और हत्या के वक्त नाबालिग होने का दावा ठुकरा दिया है. निचली अदालत ने पवन और तीन अन्य दोषियों को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी का आदेश दिया है.
जस्टिस आर भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दोषी पवन गुप्ता के वकील ने दावा किया कि दिसंबर, 2012 में इस अपराध के समय पवन नाबालिग था और हाई कोर्ट ने गलत तरीके से उसकी इस दलील को अस्वीकार कर दिया.
पीठ ने कहा कि अपराध के समय दोषी के नाबालिग होने की दलील निचली अदालत में मुकदमे की सुनवाई के दौरान नहीं दी गयी थी. हालांकि , पवन के वकील ने दलील दी कि इस मामले में सजा पर बहस के दौरान यह मुद्दा उठाया गया था. पवन गुप्ता ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी.
दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को चारों दोषियों (विनय शर्मा, मुकेश कुमार, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता) की मौत की सजा पर एक फरवरी को अमल करने के लिए नए सिरे से जारी किए थे. इस मामले में एक दोषी ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी. वहीं एक अन्य दोषी नाबालिग सजा पूरी कर चुका है.
निर्भया के साथ 16-17 दिसंबर, 2012 की रात में दक्षिण दिल्ली में चलती बस में छह लोगों ने गैंगरेप के बाद उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था. निर्भया की बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई थी.