नई दिल्ली: निर्भया के दोषियों की फांसी की तारीख को लेकर अब असमंजस की स्थिति बन गई है. किसी को नहीं पता कि फांसी होगी तो कब होगी. इस बीच अब इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. बीजेपी अब इस मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी सरकार पर हमला कर रही है. बीजेपी ने हमला करते हुए कहा कि निर्भया के गुनहगार आज अगर जिंदा हैं, तो वह सिर्फ आम आदमी पार्टी की सरकार की वजह से क्योंकि अगर आम आदमी पार्टी की सरकार ने 2017 में ही इनको अपने कानूनी विकल्प इस्तेमाल करने के लिए नोटिस दिया होता तो अब से काफी पहले ही इनके सारे कानूनी विकल्प खत्म हो चुके होते और इनको फांसी के फंदे पर लटकाया जा चुका होता.
जावड़ेकर ने कहा की दिल्ली सरकार की खामी के चलते जिंदा है हत्यारे
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर ने आम आदमी पार्टी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि निर्भया का परिवार आज भी अगर इनसाफ के इंतजार में भटक रहा है तो उसकी वजह आम आदमी पार्टी की सरकार की लापरवाही है. इसी लापरवाही के चलते निर्भया के दोषियों को आज तक फांसी पर नहीं लटकाया जा सका. 2017 में सुप्रीम कोर्ट से पहली याचिका खारिज होने के बाद तिहाड़ जेल प्रशासन जो कि दिल्ली सरकार के अधीन आता है, उसको इन दोषियों को जो नोटिस दिया जाना चाहिए था, वह दिया ही नहीं गया.
अब दिल्ली सरकार के वकील कोर्ट में खुद कह रहे हैं कि 22 जनवरी को फांसी नहीं हो सकती. प्रकाश जावड़ेकर ने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर इन दोषियों को अपील के लिए इतना वक्त दिया किसने? जबकि नियम के मुताबिक मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इनको 1 हफ्ते का वक्त दिया जाना चाहिए था और अगर ऐसा किया जाता तो अब तक उनकी सारी अपील खत्म हो गई होती और अब से काफी पहले ही फांसी पर लटक गए होते.
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान उजागर हुई थी यह खामी
गौरतलब है कि यह बात कल यानी 15 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट में निर्भया के हत्यारे मुकेश की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आई. सुनवाई के दौरान बताया गया कि तिहाड़ जेल प्रिज़न रूल के मुताबिक अगर किसी दोषी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर देता है तो उसको नोटिस जारी कर एक हफ्ते में अपने बाकी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने के लिए कहा जाता है. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया.
इसी वजह से जहां तीन दोषियों की दया याचिका पर फैसला जुलाई 2018 में आया तो वहीं एक दोषी की दया याचिका सुप्रीम कोर्ट ने 19 दिसंबर 2019 को खारिज की. इसकी वजह ये रही, क्योंकि कोई तय समय सीमा नहीं थी, लिहाजा दोषियों ने अपनी मर्जी के मुताबिक पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की और जितना मुमकिन हुआ वक्त बर्बाद किया.
निर्भया केस बनेगा चुनावी मुद्दा!
दिल्ली हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के बाद जिस तरह से बीजेपी ने आम आदमी पार्टी सरकार पर निर्भया के हत्यारों को बचाने का आरोप लगाया है उससे ये तो जरूर साफ हो रहा है की दिल्ली चुनावों में यह भी एक चुनावी मुद्दा जरूर बनेगा. निर्भया मामले के जरिए बीजेपी दिल्ली की केजरीवाल सरकार को महिला सुरक्षा के मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रही है. बीजेपी जनता के बीच यही बताने की कोशिश में लगी है कि अगर केजरीवाल सरकार ने इस मामले में गंभीरता दिखाई होती तो आज निर्भया के माता-पिता को अपनी बेटी को इनसाफ दिलाने के लिए अदालतों के चक्कर नहीं काटने पड़ रहे होते और निर्भया के हत्यारों को उनके जुर्म की सज़ा मिल चुकी होती.
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