नई दिल्ली: हैदराबाद और उन्नाव गैंगरेप के बाद आज एक बार फिर देश में निर्भया के लिए इंसाफ की मांग तेज हो गई है, लेकिन जिस तरीके से कानूनी दांव पेंच चल रहे हैं उसके बाद ये सवाल खड़ा हो जा रहा है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि फांसी की सजा पाए निर्भया के गुनहगार फांसी के फंदे पर जाने से बच जाएंगे? राजधानी दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप के दोषियों ने पूरे मामले को कानूनी पेंच में उलझा दिया है.
कई स्तर पर बरती जा रही है लापरवाही
पहले तो सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा बरकरार रखे जाने के साल भर बाद तक सरकार ने ध्यान ही नहीं दिया. मसलन निर्भया के गुनहगार अबतक जिंदा हैं. जेल और कानून के जानकारों का मानना है कि निर्भया मामले मे कई स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है. सबसे पहले तो सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले के डेढ़ साल बाद भी दोषियों ने दया याचिका दाखिल नहीं की. जेल प्रशासन के अल्टीमेटम के बाद केवल एक आरोपी विनय शर्मा ने अर्जी दाखिल की. ये आरोपी उम्र को मुद्दा बनाकर मामले को लटकाना चाहता है.
सोच समझकर केस में देरी करा रहे हैं गुनहगार
असल में ये सब गुनहगारों की ओर से सोच समझकर किया जा रहा है और सिस्टम की शिथिलिता के चलते इन गुनहगारों को मौका भी मिल रहा है. एबीपी न्यूज ने तिहाड़ जेल के कानूनी सलाहकार सुनील गुप्ता से इस बारे में जब बात की तो उन्होंने साफ साफ बताया कि इस तरह से देरी का फायदा दोषियों को मिल सकता है. सुनील गुप्ता बताते हैं कि वो खुद दो पुराने मामलों के गवाह हैं. उन्होंने बताया कि दो बार ऐसा हुआ है कि दोषियों की फांसी की सजा, देरी की वजह से उम्रकैद में बदली थी.
लीक हो रही हैं गोपनीय फाइलें
किसी भी मामले में दोषी को सजा की मंजिल तक पहुंचाने के लिए उससे जुड़ी फाइलों को गोपनीय रखा जाता है, लेकिन निर्भया केस में जिस तरीके से दोषियों की सजा और अपील से जुड़ी फाइलें लीक हो रही हैं उससे भी सवाल उठ रहे हैं. यही नही निर्भया मामले मे सजा दिलाने को लेकर सरकारो ने इसे अपने नंबर बनाने का साधन बना लिया है. यही कारण है कि फांसी की सजा को लेकर जो सरकारी नोट गोपनीय रहने चाहिए, उन्हे भी सार्वजनिक किया जा रहा है. जिसका सीधा फायदा आरोपी भी उठा सकते है.
लीफ फाइलों से फायदा उठा सकते हैं दोषी
एबीपी न्यूज़ के पास मौजूद दस्तावेजों में दोषियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश करने के पुख्ता सबूत हैं. मौजूद दस्तावेजों का एक पन्ना विनय शर्मा की दया याचिका से जुड़े सरकारी नोट का हिस्सा है, जिस पर अफसरों से लेकर नेताओं तक के दस्तखत और कमेंट हैं. आज तक फांसी के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ है, जब फांसी के पहले ऐसा नोट सामने आय़ा हो. जेल अधिकारियों का भी मानना है कि यह फाइलें गोपनीय ही ऱखी जाती हैं. ऐसे में अगर इन दस्तावेजों की लीक का मामला दोषियों ने उठा लिया तो फांसी की सजा पर असर पड़ सकता है.
यह भी पढ़ें-
जलाई गई उन्नाव गैंगरेप पीड़िता की सफदरजंग अस्पताल में मौत, कल भाई से कहा था- दोषियों को छोड़ना नहीं
जानें- उन्नाव की ‘बहादुर बेटी’ के साथ क्या हुआ था, दरिंदों ने कैसे उसे अपना शिकार बनाया
PM मोदी का एलान- बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्र इस कंटेस्ट को जीतकर उनसे मिल सकते हैं
चर्चित एनकाउंटर: चंदन तस्कर वीरप्पन और बटला हाउस एनकाउंटर को लोग आज भी नहीं भूले हैं