निर्भया केस: दोषियों की फांसी टालने के खिलाफ केंद्र की अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आज
याचिका पर सुनवाई के दौरान केन्द्रीय गृहमंत्रालय की दलील थी कि इस मामले में अगल-अलग दोषियों को अलग-अलग वक्त पर फांसी दी जा सकती है.निचली अदालत ने जेल प्रिजन मैनुअल के हिसाब से अपने आदेश में कहा था कि ऐसा मामला जहां पर एक से ज्यादा दोषी हो उनको एक साथ ही फांसी के फंदे पर लटकाया जा सकता है
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के निर्भया गैंगरेप मामले में दोषियों की फांसी टालने के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय की अर्जी पर दिल्ली हाई कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. केन्द्र सरकार ने निचली अदातल द्वारा निर्भया के हत्यारों के डेथ वारंट पर अनिश्चितकालीन (अगले आदेश तक) रोक लगाने को चुनौती दी थी. निचली अदालत के उस फैसले के खिलाफ केन्द्रीय गृहमंत्रालय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
अगल-अलग दोषियों को अलग-अलग वक्त पर दी जाएगी फांसी!
याचिका पर सुनवाई के दौरान केन्द्रीय गृहमंत्रालय की दलील थी कि इस मामले में अगल-अलग दोषियों को अलग-अलग वक्त पर फांसी दी जा सकती है, क्योंकि निचली अदालत ने तिहाड़ जेल के जिस नियम का हवाला देकर निर्भया के हत्यारों की फांसी अनिश्चितकालीन वक्त के लिए टाल दी थी वो नियम कानूनी विकल्प के इस्तेमाल तक ही प्रभावी माना जा सकता है. और जैसे ही मामला राष्ट्रपति के पास दया याचिका के तौर पर पहुंचता है तो फिर उस नियम की कोई महत्ता नहीं रह जाती है.
दोषियों के पास अभी भी कई कानूनी विकल्प
गौरतलब है कि निचली अदालत ने जेल प्रिजन मैनुअल के हिसाब से अपने आदेश में कहा था कि ऐसा मामला जहां पर एक से ज्यादा दोषी हो उनको एक साथ ही फांसी के फंदे पर लटकाया जा सकता है और क्योंकि इस मामले में अलग-अलग दोषियों के पास अभी भी कानूनी विकल्प से लेकर दया याचिका तक का विकल्प मौजूद है. लिहाजा फांसी अगले आदेश तक टाली गई है.
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