नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप मामले में तीन दोषियों की फांसी की सजा पर पुनर्विचार से आज सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निर्भया के माता-पिता ने खुशी जताई है. मां आशा देवी ने कहा कि न्याय व्यवस्था पर मेरा विश्वास और बढ़ गया है. मैं दूसरी निर्भया के लिए लड़ाई जारी रखूंगी.
उन्होंने कहा, ''हमारी लड़ाई यहीं खत्म नहीं होती है. न्याय में देरी हुई है. मैं न्यायपालिका से अपील करती हूं कि इस तरह के मामलों में सुनवाई में तेजी लाई जाए.'' उन्होंने कहा कि अगर पहले सजा हुई होती तो देश में और निर्भया नहीं होती.
उन्होंने एक नाबालिग आरोपियों को लेकर कहा कि वे नाबालिग नहीं हैं. यह दुख की बात है कि उन्होंने इस तरह के अपराध को अंजाम दिया. यह फैसला कोर्ट के प्रति विश्वास बहाल करता है. हमें न्याय जरूर मिलेगा.
वहीं निर्भया के पिता बद्रीनाथ सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि केवल हमने ही लम्बी लड़ाई नहीं लड़ी बल्कि पूरे समाज ने लम्बी लड़ाई लड़ी है. उम्मीद है कि आगे भी न्याय मिलेगा. पहले से ही पता था कि खारिज होना है. आगे क्या करना है ये हमारे वक़ील तय करेंगे? जितना जल्दी ये मामला खत्म हो उतना अच्छा है. उन्होंने कहा कि बहुत सारा वक्त बीत चुका है और इस दौरान महिलाओं के प्रति खतरा पहले से ज्यादा बढ़ गया है. मुझे उम्मीद है कि दोषी जल्द ही फांसी पर लटकेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले में मौत की सजा के निर्णय पर तीन मुजरिमों की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए कहा कि जिन मुजरिमों को मौत की सजा सुनाई गई, वे शीर्ष अदालत के निर्णय में कोई भी त्रुटि बताने मे असफल रहे.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल पांच मई को दिल्ली हाईकोर्ट और निचली अदालत के फांसी के फैसले को बरकरार रखा था. निचली अदालत के फैसले में मुकेश (29), पवन (22), विनय शर्मा (23) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी की सजा दी गई थी. इस फैसले के खिलाफ नवंबर में तीन दोषियों ( मुकेश, विनय और पवन) ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी.
आपको बता दें कि 16 दिसंबर 2012 की रात पांच दरिंदों ने 23 साल की निर्भया के साथ क्रूरतम तरीके से गैंग रेप किया था. निर्भया ने मौत से 13 दिन तक जूझते हुए इलाज के दौरान सिंगापुर में दम तोड़ दिया था. इस घटना के बाद देशभर में लोग सड़क पर उतर आए थे. सरकार को मजबूरन नया कानून बनाना पड़ा था.
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