नई दिल्ली: साल 2012 में दिल्ली में चलती बस में अंजाम दिए गए  निर्भया गैंगरेप कांड में सुप्रीम कोर्ट ने तीनों दोषियों की फांसी की सजा बरकार रखी है. सुप्रीम कोर्ट ने चार में से तीन आरोपियों की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आपराधिक मामलों में कानूनी गलती की बुनियाद पर ही रिव्यू मुमकिन होता है. एक दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी.


सुप्रीम कोर्ट के इस ताजा फैसले का मतलब हुआ कि अब  निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों को फांसी की सजा दी जाएगी. अब दोषी मुकेश, विनय, पवन और अक्षय के पास फांसी से बचने के लिए राष्ट्रपति से माफी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता है. सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई के दौरान निर्भया के माता-पिता और वकील भी कोर्ट रूम में मौजूद थे.


आपतो बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में चलती बस में हुई गैंगरेप की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. बलात्कार के दौरान की गई क्रूरता से बुरी तरह घायल हुई पीड़िता की बाद में मौत हो गई थी.


सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा थी फांसी की सजा


पिछले साल पांच मई को सुप्रीम कोर्ट ने चारों हत्यारों को फांसी की सज़ा को बरकरार रखा था. सज़ा सुनाते वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे बर्बर लोग रहम के लायक नहीं हैं.


एक आरोपी राम सिंह ने जेल में ही फांसी लगा ली थी


इस मामले में कुल 6 आरोपी थे. एक आरोपी राम सिंह ने मुकदमे के दौरान जेल में ही फांसी लगा ली थी. जबकि एक आरोपी नाबालिग था. इसलिए, उसे बाल सुधार गृह भेजा गया. वो 3 साल सुधार गृह में बिताकर रिहा हो चुका है. रेप पीड़िता का नाम उजागर न करने के लिए मीडिया ने उसे निर्भया कहा. बाद में मामला निर्भया गैंगरेप केस कहलाने लगा.


रेप कांड का घटनाक्रम कुछ यूँ है:-


16 दिसंबर 2012 को 23 साल की फिजियोथेरेपी छात्रा अपने एक दोस्त के साथ फिल्म लाइफ ऑफ़ पाई देखने गई. रात साढ़े 9 बजे मुनिरका में वो एक चार्टर बस में सवार हुई. बस में सवार ड्राइवर समेत 6 लोग दरअसल मौज-मस्ती के इरादे से निकले थे. उनके पास उस रूट में बस चलाने का परमिट नहीं था. वो थोड़ी देर पहले भी बस में बढ़ई का काम करने वाले एक शख्स को बिठाकर लूट चुके थे. नाबालिग आरोपी ने निर्भया और उसके दोस्त को देखकर बस में बैठने के लिए आवाज़ लगाई. दोनों बस में सवार हो गए.


बस उस वक़्त राम सिंह चला रहा था. उसने बस को बताए गए रास्ते से अलग दिशा में डाल दिया. निर्भया के दोस्त ने जब सवाल किया तो बाकी पाँचों उनसे पूछने लगे कि दोनों साथ में क्यों घूम रहे हैं. सवाल पर एतराज़ करने पर उन्होंने दोस्त की जम कर पिटाई की और उसे बस में एक किनारे डाल दिया. इसके बाद वो लड़की को बस के पिछले हिस्से में ले गए. जहाँ सब ने बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया. जिस दौरान ड्राइवर राम सिंह ने बलात्कार किया. उस वक़्त उसका भाई मुकेश बस चलाता रहा.


आरोपियों ने पार कर दी थीं क्रूरता की सारी हदें


गैंगरेप की इस पूरी घटना के दौरान इन लोगों ने निर्भया के साथ जानवरों से भी बदतर बर्ताव किया. उसके गुप्तांग में लोहे का सरिया भी डाला गया. जिससे उसकी आंत बाहर निकल आई. शरीर के अंदरूनी हिस्सों को काफी नुकसान पहुंचा. रात 11 बजे उन्होंने निर्भया और उसके दोस्त को बस से धक्का दे दिया. राम सिंह ने निर्भया को कुचलने की भी कोशिश की लेकिन उसके दोस्त ने उसे किनारे कर के बचा लिया. उन्हें सड़क किनारे पड़ा देख कर कुछ लोगों ने पुलिस को फोन किया.


निर्भया को बेहद गंभीर हालत में एम्स में भर्ती किया गया. उसके शरीर के अंदरूनी हिस्से जंग लगे लोहे की रॉड से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके थे. डॉक्टरों को उसकी आंत काट के निकालनी पड़ी. उसे बेहतर इलाज के लिए केंद्र सरकार के खर्चे पर सिंगापुर ले जाया गया. वहां 29 दिसंबर को उसकी मौत हो गयी. दिल्ली पुलिस ने तेज़ी से कार्रवाई करते हुए 17 दिसंबर को बस को जब्त कर लिया. बस की पहचान में सड़क पर लगे सीसीटीवी कैमरे से काफी मदद मिली. बस में खून से सना रॉड और कई और फोरेंसिक सबूत मिले.


निर्भया के लूटे गए फोन से मिली अपराधियों की लोकेशन


निर्भया से लूटे गए फोन की लोकेशन से अपराधियों का पता लगाने में मदद मिली. राम सिंह और मुकेश को राजस्थान से पकड़ा गया. विनय और पवन दिल्ली में गिरफ्तार हुए. नाबालिग आरोपी आंनद विहार बस अड्डे पर पकड़ा गया. अक्षय की गिरफ्तारी बिहार के औरंगाबाद से हुई थी.