Nirbhaya's Mother: दिल्ली के बढ़ते क्राइम खास कर महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को देखते हुए निर्भया की मां आशा ने कहा कि निर्भया के साथ जो हुआ उसको बीते 10 साल हो गए, लेकिन 10 साल में दिल्ली नहीं बदली है. महिलाओं के साथ लगातार बर्बरता बढ़ती जा रही है. यह कानून व्यवस्था की विफलता है. दोषियों में पुलिस का कोई डर नहीं है. श्रद्धा के साथ जो हुआ उसमें किसी को पता तक नहीं चला कि उसने 6 महीने तक लाश के टुकड़ों को फेंका.
उन्होंने आगे कहा कि हम दिल्ली में रहते हैं. राजधानी है. यहां दिल्ली पुलिस है, सेंट्रल सरकार है, उसके बावजूद अगर यहां यह हाल है तो देश में क्या हाल होगा. यह हमारी व्यवस्था की कमी है, सिस्टम की कमी है, जो आज हमारे बच्चों के यह हालात हैं. 2012 के छावला केस में 10 साल से उसके मां-बाप संघर्ष कर रहे हैं लेकिन आज तक सजा नहीं मिली है दोषियों को.
मुजरिमों के पास हजार ऑप्शन
निर्भया की मां ने कहा, "मुजरिमों को हजार ऑप्शन देते हैं कि वह खुद को बेगुनाह साबित कर सके, लेकिन मां-बाप को एक ऑप्शन नहीं देते कि वह अपने बच्चों को इंसाफ दिला सके." देश के भविष्य बच्चे हैं बच्चों को सुरक्षित रखना महिलाओं को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है, वरना देश का भविष्य खतरे में है. उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा के साथ जो हो रहा है, उसके जिम्मेदार हम सभी हैं, समाज दोषी है. लोग क्राइम कर देते हैं और उनके अंदर कानून का डर नहीं है न ही कोई खौफ. वो कानून से बेफिक्र होकर घूमते हैं. वे छूट जाएंगे, दोबारा घर बसा लेंगे. हमें कानून व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है.
महिलाएं कोई वस्तु या समान नहीं है
एसिड अटैक पर निर्भया की मां ने कहा, "महिला सुरक्षा बहुत जरूरी है. महिलाएं कोई वस्तु या समान नहीं हैं कि वह मना करें तो तुम एसिड डाल दो, उसका बलात्कार कर दो. आज के पुरुष वर्ग समझते हैं कि महिला उनकी संपत्ति है, जिसे जिस तरीके से चाहे इस्तेमाल करो, नहीं मानती तो तुम उन्हें खत्म कर दो." इसके लिए कानून व्यवस्था तो दोषी है, लेकिन समाज और मां-बाप भी दोषी है.
हम लडकियों पर ध्यान तो देते हैं, लेकिन लड़कों पर ध्यान नहीं देते, उन्हें नहीं रोकते. हमारे पास लड़कियां आती हैं. बच्चियां आती हैं मदद के लिए और हम उनकी मदद करते हैं. लीगल एडवाइजर से हेल्प दिलवा देते हैं. जगह-जगह जाते हैं ताकि उनको इंसाफ मिले, ताकि कोई और निर्भया न बन सके.
महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून हो
निर्भया की मां कहती है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए और सख्त कानून बनना चाहिए ताकि लोगों के मन में खौफ हो, बेटी की सुरक्षा पर काम करना चाहिए. आज निर्भया के साथ जो हुआ उसके 10 साल बीत गए. निर्भया को इंसाफ तो मिला, लेकिन दिल में एक टीस है कि एक आरोपी को नाबालिग के नाम पर छोड़ दिया गया. उसकी आइडेंटिटी छुपा दी गई है. आज वो एक आम जिंदगी जी रहा होगा, सोच रहा होगा इतने बड़े कांड के बाद मैं बच गया, अब तो कुछ भी कर सकता हूं. वो आगे जाकर और लड़कियों के साथ गलत करेगा.