नई दिल्ली: ज्यों-ज्यों 22 जनवरी यानी निर्भया के हत्यारों को फांसी के फंदे पर टांगे जाने की घड़ियां करीब आती जा रही हैं, त्यों-त्यों तिहाड़ जेल में हलचक बढ़ती जा रही है. 'डेथ-वारंट' हासिल होते ही, निर्धारित फांसी प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने के क्रम में बुधवार को तिहाड़ जेल महानिदेशालय ने उत्तर प्रदेश जेल महानिदेशालय को दोबारा एक चिट्ठी लिखी है.


चिट्ठी के जरिये यूपी जेल महानिदेशालय से निर्भया के हत्यारों की फांसी के लिए प्रशिक्षित जल्लाद को प्राथमिकता पर तलाशने का आग्रह किया गया है. इस गोपनीय पत्र में तिहाड़ जेल प्रशासन ने मेरठ में मौजूद पवन जल्लाद की उपलब्धता के बारे में भी जिक्र किया है.


कुल जमा अगर यह कहा जाए कि तिहाड़ जेल प्रशासन भी पवन जल्लाद से ही निर्भया के मुजरिमों को फांसी दिलवाने का इच्छुक नजर आ रहा है तो गलत नहीं होगा. ऐसा नहीं है कि निर्भया के मुजरिमों को सजा-ए-मौत देने के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन ने यूपी जेल महानिदेशालय से पहली बार संपर्क साधा है. अब से करीब एक 20 दिन पहले भी तिहाड़ जेल महानिदेशालय यूपी जेल डिपार्टमेंट से इसी तरह का आग्रह किया था. अब चूंकि डेथ वारंट जेल महानिदेशालय के पास मौजूद है. लिहाजा, ऐसे में बुधवार को दुबारा लिखी गई नई चिट्ठी में इस डेथ-वारंट का भी हवाला दिया गया है.


तिहाड़ जेल महानिदेशालय ने इस गोपनीय पत्र के जरिये आग्रह किया है कि यूपी जेल महानिदेशालय जिस जल्लाद को बेहतर माने उसे उपलब्ध करा दे. अगर संभव हो तो पवन जल्लाद के बारे में भी यूपी सरकार और यूपी जेल डिपार्टमेंट विचार कर सकता है.


तिहाड़ जेल सूत्रों के मुताबिक, "पवन जल्लाद को तिहाड़ जेल महानिदेशालय कई वजहों से इस खास काम के लिए बुलाना चाहता है."


पहली वजह है कि पवन पुश्तैनी जल्लाद है. शरीर से मजबूत है. उसने पुरखों के साथ फांसी देने-दिलवाने का काम सीखा है. फांसी देते वक्त पवन जल्लाद से किसी भूल की गुंजाइश न के बराबर होगी. पवन की आंखों की रोशनी भी दुरुस्त है. यानी एक जल्लाद की रोशनी जो होनी चाहिए वही है.


ऐसे मौके पर जल्लाद की सुरक्षा. उसे उसके घर से तिहाड़ जेल तक लाने-ले जाने का इंतजाम भी बेहद गोपनीय और जोखिम भरा होगा. यूपी के जिस मेरठ जिले में पवन जल्लाद रहता है, वह दिल्ली सीमा से मात्र 50-60 किलोमीटर की दूरी पर है. यूपी पुलिस अगर पवन को सुरक्षा नहीं दे पाती है तो उसे दिल्ली पुलिस से भी तिहाड़ जेल प्रशासन सुरक्षा मुहैया करा सकता है. तिहाड़ जेल और मेरठ के बीच के रास्ते की दूरी बेहद कम है. ऐसे में पवन को लाने-जाने के वक्त भी ज्यादा देर का जोखिम तिहाड़ जेल प्रशासन को नहीं उठाना पड़ेगा.


बुधवार देर रात दिल्ली जेल महानिदेशक संदीप गोयल ने बातचीत में कहा, "तिहाड़ में मौजूद चारों मुजरिमों को बुधवार को दिन के वक्त अदालत के आदेश की प्रति अधिकृत रूप से प्राप्त करा दी गई हैं, जबकि डेथ वारंट तिहाड़ जेल प्रशासन के पास ही रहेंगे. अदालत से हासिल 6 पेज का जो आदेश मुजरिमों को दिया गया है, उसमें भी उनके डेथ वारंट से संबंधित जिक्र किया गया है."


22 जनवरी की सुबह 7 बजे दोषियों को फांसी दी जाएगी


बता दें कि 7 साल बाद निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड के दोषियों की फांसी की तारीख तय हो गई. देश को झकझोर कर रख देने वाले इस कांड के चारों दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी. दोषियों और उनके वकीलों ने आज भी फांसी टलवाने की पूरी कोशिश की. लेकिन जज ने और समय देने से मना कर दिया. डेथ वारंट पर दस्तखत करते वक्त जज ने कहा कि दोषी चाहें तो बचे हुए 14 दिन में किसी भी कानूनी विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं.


16 दिसंबर 2012 को दिल्ली की सड़कों पर हुई थी दरिंदगी


16 दिसंबर 2012 को 23 साल की निर्भया अपने दोस्त के साथ रात के वक्त फिल्म 'लाइफ ऑफ पाई' देखकर लौट रही थी. दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका इलाके में एक चार्टर्ड बस में सवार छह लोगों ने दोनों को अपनी बस में बैठा लिया. वादा था गंतव्य स्थल पर छोड़ने का, लेकिन नीयत में थी दरिंदगी. चलती बस में बारी-बारी से सभी छह लोगों ने निर्भया के साथ बलात्कार किया. विरोध करने पर उसके दोस्त को मारा पीटा गया. बलात्कार के दौरान वहशियों की दरिंदगी का आलम यह था कि उन्होंने पीड़िता के अंग में लोहे का सरिया डाल दिया दिया. इससे उसकी आंत बाहर आ गई. इसके बाद चलती बस से दोनों को फेंक दिया गया.


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