निर्भया कांड को आज आठ साल बीत चुके हैं लेकिन देश के लोगों के जेहन में अभी भी उस दरिंदगी के निशान बाकी हैं। निर्भया के माता-पिता आज भी उस हादसे और उसके बाद बदल चुकी उनकी जिंदगी के बारे में सोचकर सिहर उठते हैं। हालांकि देश के कानून से दरिंदों के सजा मिल चुकी है लेकिन निर्भया के माता-पिता की मानें तो उनकी ये लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।
लगातार बढ़ रही है महिलाओं से हैवानियत
दरअसल निर्भया कांड की बरसी पर निर्भया के पिता सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी से बलात्कार और हत्या मामले में दोषियों का अंजाम भले ही सब देख चुके हों, लेकिन देश की सड़कों पर महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को देखकर लगता है कि कुछ नहीं बदला है.
दरअसल 16-17 दिसंबर 2012 की रात दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में 6 लोगों ने 23 साल फिजियोथेरेपी इंटर्न के साथ गैंगरेप किया और फिर उसे मरने के लिए सड़क पर फेंक दिया था. 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. पीड़िता को निर्भया के नाम से जाना गया. इस मामले में इसी साल छह में से चार दोषियों को मौत की सजा दे दी गई. दोषियों में से एक राम सिंह ने मामले की सुनवाई शुरू होने के कुछ ही दिन बाद तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि एक किशोर को तीन साल सुधार गृह में गुजारने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था.
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लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है
बेटी के साथ हुई बेरहमी के आठ साल बीतने के बाद भी निर्भया के पिता को लगता है कि महिला सुरक्षा को लेकर अभी भी कुछ ज्यादा नहीं बदला है. 'सेव द चिल्ड्रन एंड युवा' नामक एनजीओ की ऑनलाइन मुहिम में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि 'लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई. निर्भया के पिता ने कहा कि आपने मेरे बारे में शायद कभी नहीं सुना होगा. मुझे लगता है कि आज आपको मेरी आवाज सुननी चाहिये. मेरा नाम बद्रीनाथ सिंह है. लेकिन 16 दिसंबर 2012 की रात के बाद से मुझे निर्भया के पिता के रूप में जाना गया. अब मुझे मेरे बाकी जीवन में इसी रूप में जाना जाएगा.
निर्भया के पिता ने कहा, 'मुझे लगा था कि इस मामले के बाद हमारे देश में बदलाव आएगा. लेकिन जब मैं खबरें देखता हूं तो हर रोज एक बेटी पर बर्बरतापूर्ण हमले का नया मामला सामने आता है. देश में कुछ नहीं बदला है.
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