'कांग्रेस शासन में सुलगता रहा मणिपुर पर नहीं ली सुध', निर्मला सीतारमण का बड़ा हमला
Nirmala Sitharaman Attack on Congress: राज्यसभा में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उनके शासनकाल में मणिपुर जलता रहा, लेकिन उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाया.

Nirmala Sitharaman Attack on Congress: राज्यसभा में मणिपुर हिंसा पर हुई चर्चा के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस शासन के दौरान मणिपुर में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, लेकिन केंद्र सरकार के किसी मंत्री ने वहां का दौरा नहीं किया.
सीतारमण ने कहा कि 2002 से 2017 तक मणिपुर में कांग्रेस की सरकार थी, जबकि 2014 से पहले केंद्र में भी कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार थी. इस दौरान 628 बार बंद और नाकेबंदी हुई, जिससे राज्य को 2828 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ. उन्होंने कहा कि 2011 में 120 दिनों तक चला आर्थिक बंद, जिससे आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई. पेट्रोल की कीमत ₹200 प्रति लीटर और गैस सिलेंडर की कीमत ₹2000 तक पहुंच गई.
मणिपुर में भाजपा सरकार की सक्रियता
सीतारमण ने मौजूदा स्थिति पर कहा कि जब मणिपुर में हालिया तनाव शुरू हुआ, तब गृह मंत्री अमित शाह लगातार राज्य में मौजूद रहे. उन्होंने चार दिन तक मणिपुर में रुककर विभिन्न समुदायों से मुलाकात की. राहत कार्यों की निगरानी की और शांति बहाली के लिए प्रयास किए. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय 23 दिनों तक मणिपुर में रहे.
राज्यसभा में विपक्ष का विरोध और सीतारमण की प्रतिक्रिया
जब वित्त मंत्री ने कांग्रेस शासनकाल में मणिपुर की हिंसा का जिक्र किया, तो विपक्षी सांसदों ने कड़ी आपत्ति जताई. तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव समेत कई सांसदों ने उनके बयान पर विरोध जताया. इस पर सीतारमण ने कहा, “इन्हें अपनी मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) को दिखाना है कि इन्होंने विरोध किया. लेकिन यह सदन है, कोई गली नहीं जहां हंगामा किया जाए और पत्थरबाजी के बाद भागा जाए.”
सीपीएम और कांग्रेस पर हमला
सीतारमण ने सीपीएम सांसदों के विरोध पर भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “सीपीएम के शासन में पश्चिम बंगाल में भयंकर दंगे हुए थे, त्रिपुरा में भी हिंसा हुई और केरल में अराजकता फैली.” उन्होंने कांग्रेस शासन के दौरान हुई हिंसा का उदाहरण देते हुए कहा, "1993 में कांग्रेस सरकार के दौरान कुकी और नागा समुदायों में संघर्ष हुआ, जिसमें 750 लोग मारे गए.
350 गांव जलाए गए, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और गृहमंत्री शंकर राव चव्हाण मणिपुर नहीं गए. वहीं, 1997-98 में इंद्र कुमार गुजराल के प्रधानमंत्री रहते मणिपुर में 350 लोगों की मौत हुई, लेकिन उन्होंने भी मणिपुर का दौरा नहीं किया."
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