Electoral Bond Case: कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार (03 दिसंबर, 2024) को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पूर्व राज्य बीजेपी अध्यक्ष नलिन कुमार कटीलल के खिलाफ कथित रूप से धन उगाही करने और व्यापारिक संस्थाओं पर चुनावी बांड खरीदने के लिए दबाव डालने के आरोप में दर्ज आपराधिक मामला खारिज कर दिया. मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन भी सह-आरोपी हैं.


कर्नाटक हाई कोर्ट ने 20 नवंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. पूर्व राज्य बीजेपी अध्यक्ष नलीन कुमार कटील की ओर से दायर याचिका में एफआईआर को खारिज करने की मांग की गई थी. जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कटील की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया. अदालत ने कहा, "याचिका स्वीकार की जाती है. याचिकाकर्ता के कारण कार्यवाही रद्द की जाती है." शहर के एक कार्यकर्ता आदर्श आर अय्यर की शिकायत के आधार पर बेंगलुरु पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी.


'निर्मला सीतारमण नहीं थीं याचिकाकर्ता'


मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों, बीजेपी पदाधिकारियों और अन्य के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है. वरिष्ठ अधिवक्ता के जी राघवन ने कहा, "अदालत ने याचिकाकर्ता कटील के खिलाफ प्राथमिकी रद्द कर दी है. हमने कटील की ओर से याचिका दायर की है." उन्होंने कहा कि निर्मला सीतारमण याचिकाकर्ता नहीं थीं. 


अदालत में क्या दी गई दलील?


याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि जबरन वसूली का अपराध दर्ज करने के लिए शिकायतकर्ता को पीड़ित होना चाहिए और आरोपी को लाभार्थी होना चाहिए. शिकायत में कहा गया है कि कई कॉरपोरेट और धनकुबेरों को कई करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदने के लिए मजबूर किया गया, जिन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पार्टी की ओर से भुनाया जाता है.


पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि शिकायत में लगाए गए आरोप जबरन वसूली का एक प्रमुख उदाहरण हैं. जिस व्यक्ति से जबरन वसूली की गई है, उसे भी अपराध से लाभ मिला है. चुनावी बॉन्ड के जरिए बीजेपी को चंदा देने के बाद उसके खिलाफ ईडी और आयकर विभाग की जांच बंद हो गई, जिसके चलते उसने शिकायत दर्ज नहीं कराई. उन्होंने तर्क दिया कि इस संबंध में आम लोगों को ही शिकायत दर्ज करानी चाहिए.


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