केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि भगोड़े व्यवसायी विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी कानून का सामना करने के लिए ‘वापस भारत आ रहे हैं.’ केन्द्र सरकार विजय माल्या और नीरव मोदी को ब्रिटेन से भारत लाने की कोशिश में जुटी है जबकि मेहुल चौकसी के बारे में ऐसा माना जा रहा है कि वह एंटीगुआ-बारबुडा में है.


बीमा संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में जवाब देते हुए निर्ला सीतारमण ने कहा- "विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी कानून का सामना करने के लिए वापस आ रहे हैं... एक-एक कर के हर कोई इस देश के कानून का सामना करने के लिए देश में वापस आ रहा है."


माल्या अपनी दिवालिया किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े 9,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण को जानबूझ कर न चुकाने के आरोपी हैं, और मार्च 2016 से ब्रिटेन में हैं. जबकि, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पीएनबी के साथ कर्ज में धोखाधड़ी के आरोपी हैं. सीबीआई जांच शुरू होने से पहले 2018 में दोनों भारत से भाग गए.


बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अधिकतम सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने पर सीतारमण ने कहा कि हिस्सेदारी बढ़ने से कंपनियों का नियंत्रण विदेशी कंपनियों के पास चला जायेगा. लेकिन इन कंपनियों में निदेशक मंडल और प्रबंधन के महत्वपूर्ण पदों पर भारतीय लोग ही नियुक्त होंगे और उन पर भारतीय कानून लागू होगा.


बीमा संशोधन विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुये सीतारमण ने कहा, ‘‘देश के कानून अब काफी परिपक्व हैं, देश में होने वाले किसी भी परिचालन को वे नियंत्रण में रख सकते हैं. (कोई भी) इसे (धन को) बाहर नहीं ले जा सकता है और हम देखते नहीं रह सकते हैं.’’ बीमा कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी बढ़ाने की वजह बताते हुये उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों पर नकदी का दबाव बढ़ रहा था. ऐसे में निवेश सीमा बढ़ने से उनकी बढ़ती पूंजी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा.


लंदन जेल में बंद है नीरव मोदी 


हीरा कारोबारी नीरव मोदी फर्जीवाड़ा का मामला सुर्खियों में आने के बाद जनवरी 2018 में भारत छोड़कर फरार हो गया था. इसी के बाद भारत सरकार ने नीरव मोदी को प्रत्यर्पित करने की प्रक्रिया शुरू की थी. नीरव मोदी फिलहाल लंदन की एक जेल में बंद है. यूके कोर्ट ने पिछल महीने कहा कि नीरव मोदी का मामला प्रत्यर्पण कानून के सेक्शन 137 की अपेक्षाओं को पूरा करता है. प्रत्यर्पण से बचने के लिए नीरव मोदी की तरफ से भारत में सरकारी दबाव, मीडिया ट्रायल और अदालतों की कमज़ोर स्थिति को लेकर दी गई दलीलों को वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने खारिज कर दिया.


लंदन की अदालत ने इस बात को भी नकारा कि नीरव मोदी की मानसिक स्थिति और स्वास्थ्य को प्रत्यर्पण के लिए फिट नहीं है. अदालत ने आर्थर रोड के बैरक 12 में नीरव मोदी को रखे जाने के बारे में दिये गए आश्वासनों को भी संतोषजनक बताया. कोर्ट ने कहा कि मुंबई के आर्थर रोड जेल के बैरक 12 में ही रखा जाए. उसे भोजन, साफ पानी, साफ टॉयलेट, बिस्तर की सुविधा दी जाए. मुंबई सेंट्रल जेल के चिकित्सक भी नीरव के लिए उपलब्ध रहें.


अदालत ने सेक्शन 3 के तहत भारत में जान के खतरे को लेकर दी गई दलीलों को खारिज किया. अदालत ने कहा कि नीरव मोदी के बारे में आत्महत्या की टेंडेंसी को लेकर दी गई रिपोर्ट को हमने देखे हैं. नीरव मोदी को प्रत्यर्पण वारंट पर 19 मार्च 2019 को गिरफ्तार किया गया था और प्रत्यर्पण मामले के सिलसिले में हुई कई सुनवाइयों के दौरान वह वॉन्ड्सवर्थ जेल से वीडियो लिंक के जरिये शामिल हुआ था.


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