(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Sanatan Row: निर्मला सीतारमण बोलीं- 70 सालों से 'एंटी हिंदू' कैंपेन चला रही DMK, सनातन के खिलाफ है I.N.D.I.A.
Sitharaman on INDIA: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि इंडिया गठबंधन में शामिल डीएमके पिछले 70 सालों से एंटी हिंदू कैंपेन चलाती रही है. Language बैरियर की वजह से पहले यह पता नहीं चलता था.
Nirmala Sitharaman on Sanatan Row: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने DMK सहित विपक्षी पार्टियों के गठबंधन इंडिया को हिंदुओं और सनातन धर्म के खिलाफ करार दिया है. शुक्रवार (15 सितंबर) को एनडीटीवी को दिए स्पेशल इंटरव्यू में सीतारमण में कहा, 'डीएमके नेता और मंत्री (तमिलनाडु) उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने की बात कही है.'
कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, 'सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ऐसे ग्रुप का समर्थन कर रही है जो भारत को तोड़ना चाहते हैं. डीएमके की घोषित पॉलिसी एंटी सनातन रही है.'
सीतारमण ने दावा किया कि वह खुद इसकी विटनेस रही हैं. निर्मला ने कहा, 'तमिलनाडु के लोगों ने इसे हमेशा से झेला है. बाकी देश को यह बात इसलिए समझ में नहीं आई क्योंकि भाषा का बेरियर है. डीएमके पिछले 70 सालों से ऐसा कर रही है. अभी सोशल मीडिया का जमाना है इसलिए लोगों को ट्रांसलेटर की जरूरत नहीं है और आसानी से समझ रहे हैं कि डीएम के नेता ने क्या कहा है.'
उदयनिधि ने बनाया संविधान का मजाक
उदयनिधि स्टालिन के बयान को सीतारमण ने संविधान का मजाक करार देते हुए कहा कि उनका बयान मंत्री के रूप में उनके शपथ का भी उल्लंघन है. आपको बता दें कि उदयनिधि के बाद डीएमके नेता ए राजा ने भी सनातन धर्म की तुलना एड्स जैसी बीमारियों से की थी.
G20 की सफलता पर जताया संतोष
केंद्रीय वित्त मंत्री ने भारत की अध्यक्षता में दो दिवसीय G20 शिखर सम्मेलन की सफलता पर भी संतोष जताया है. उन्होंने कहा, 'इसमें फाइनेंस ट्रैक की भूमिका बड़ी रही है. भारत ने सभी महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सहमति बनाई.'
क्रिप्टो एसेट्स के रेगुलेशन को लेकर मंत्री ने कहा कि अगर अलग-अलग देश इस मामले में अलग-अलग नीति अपनाएंगे तो यह अच्छा नहीं होगा. जरूरी है कि कलेक्टिव कार्रवाई हो और इसके लिए गहन चर्चा की जरूरत है.
साउथ की आवाज़ बन चुके हैं PM मोदी
उवित्त मंत्री ने G20 फोरम में पीएम मोदी की भूमिका की सराहना करते हुए कहा, 'वह अब साउथ की आवाज बन चुके हैं. मिडल इनकम वाले देश कर्ज से पीड़ित हैं. विश्व बैंक और आईएफ जैसी संस्थाओं के होने के बावजूद इन समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा.'
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