नई दिल्ली: पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ये एक गंभीर मुद्दा है जिसमें कीमतें कम करने के अलावा कोई भी जवाब किसी को संतुष्ट नहीं कर सकता. केंद्र और राज्य दोनों को उपभोक्ताओं के लिए उचित स्तर पर खुदरा ईंधन मूल्य में कमी लाने के लिए बात करनी चाहिए.
इसके साथ ही उन्होंने कहा, "ओपीईसी देशों ने उत्पादन का जो अनुमान लगाया था वह भी नीचे आने की संभावना है जो फिर से चिंता बढ़ा रहा है. तेल के दाम पर सरकार का नियंत्रण नहीं है इसे तकनीकी तौर पर मुक्त कर दिया गया है. तेल कंपनियां कच्चा तेल आयात करती हैं , रिफाइन करती हैं और बेचती हैं."
मुंबई में पेट्रोल 97 रुपये प्रति लीटर
गौरतलब है कि वित्त मंत्री की प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब देश में पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार विपक्ष के निशाने पर है. पेट्रोल की कीमत ने शनिवार को मुंबई में 97 रुपये प्रति लीटर के उच्च स्तर को छू लिया, जबकि डीजल के दाम 88 रुपये के स्तर को पार कर गए.
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार शनिवार को पेट्रोल की कीमत में रिकॉर्ड 39 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 37 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई. इसके साथ ही कीमतों में लगातार 12वें दिन बढ़ोतरी हुई और यह तेल कंपनियों द्वारा 2017 में कीमतों की दैनिक समीक्षा शुरू किए जाने के बाद एक दिन में सबसे बड़ी बढ़ोतरी है.
दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 90.58 रुपये प्रति लीटर
इसके साथ ही दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 90.58 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 97 रुपये हो गई. डीजल अब राष्ट्रीय राजधानी में 80.97 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 88.06 रुपये में मिल रहा है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में उछाल आने के बाद घरेलू बाजार में भी कीमतों पर असर पड़ा है. भारत अपनी तेल संबंधी 85 फीसदी जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है.
अमेरिका में ऊर्जा संकट के चलते इस सप्ताह ब्रेंट तेल की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गई थी. पिछले 12 दिनों में पेट्रोल की खुदरा कीमतों में 3.63 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है, जबकि डीजल 3.84 रुपये महंगा हुआ. पेट्रोल की कीमत पहले ही राजस्थान और मध्य प्रदेश में कुछ स्थानों पर 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक हो गई है. खुदरा पंप पर कीमतें स्थानीय करों (वैट) और माल भाड़े के आधार पर अलग-अलग होती हैं.