नई दिल्ली: अयोध्या विवाद में केंद्र सरकार की याचिका का निर्मोही अखाड़े ने विरोध किया है. निर्मोही अखाड़े ने सरकार पर 67 एकड़ गैरविवादित जमीन राम जन्मभूमि न्यास को देने की कोशिश का आरोप लगाया है. इसको लेकर निर्मोही अखाड़े ने सुप्रीम कोर्ट में नई अर्जी दी है. वहीं, केंद्र सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में अबतक कोई सुनवाई नहीं हुई है.
निर्मोही अखाड़े ने क्या कहा है?
दरअसल, निर्मोही अखाड़े ने अपनी अर्जी में अयोध्या में 67.7 एकड़ ग़ैरविवादित जमीन उसके मूल मालिकों को लौटाने की केंद्र की अर्ज़ी का विरोध किया है. निर्मोही अखाड़े ने कहा है कि ज्यादातर ज़मीन पहले अखाड़े की थी. सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार न करे. बल्कि सिर्फ मुख्य भूमि विवाद पर सुनवाई की जाए.
क्या विवाद है?
बता दें कि इसी साल 29 जनवरी को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा था कि विवादित जमीन छोड़कर बाकी बची जमीन मालिकों को वापस लौटाई जाए. केंद्र ने कहा है कि 67 एकड़ जमीन गैर विवादित है और इसे राम जन्मभूमि न्यास को लौटाई जाए. बाकी की बची 0.313 एकड़ जमीन जो विवादित है इस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करे.
क्या है राम जन्मभूमि का विवाद?
अयोध्या में जमीन विवाद बरसों से चला आ रहा है, अयोध्या विवाद हिंदू मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव का बड़ा मुद्दा रहा है. अयोध्या की विवादित जमीन पर राम मंदिर होने की मान्यता है. मान्यता है कि विवादित जमीन पर ही भगवान राम का जन्म हुआ. हिंदुओं का दावा है कि राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई. दावा है कि 1530 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर गिराकर मस्जिद बनवाई थी. 90 के दशक में राम मंदिर के मुद्दे पर देश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया था. अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था.
ममला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने तीन हिस्सों में 2.77 एकड़ जमीन बांटी थी. राम मूर्ति वाला पहला हिस्सा राम लला विराजमान को मिला, राम चबूतरा और सीता रसोई वाला दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को मिला. जमीन का तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया गया. बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. जिसके बाद कोर्ट ने जमीन बांटने के फैसले पर रोक लगा दी. अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
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