NASA-ISRO NISAR Satellite: अमेरिकी वायु सेना सी-17 विमान बुधवार (8 मार्च) को बेंगलुरु (Bengaluru) में उतरा और नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को सौंप दिया. इसे अमेरिका-भारत संबंधों में एक मील का पत्थर माना जा रहा है. इसे नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने मिलकर तैयार किया है.


अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास ने ट्वीट किया, "एनआईएसएआर सैटेलाइट बेंगलुरु पहुंचा. इसरो ने कैलिफोर्निया में नासा से पृथ्वी का अवलोकन करने वाला सैटेलाइट प्राप्त किया, जिसे अमेरिकी वायु सेना के सी-17 विमान से लाया गया. यह दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग का एक सच्चा प्रतीक है."


2024 में किया जाएगा लॉन्च


NISAR एक ऐसा सैटेलाइट है जो पृथ्वी की सतह को पूरी तरह से एनालाइज करके डेटा तैयार करेगा. इसका उपयोग एग्रीकल्चर मैपिंग और भूस्खलन के जोखिम वाले क्षेत्रों का पता लगाने सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाएगा. इस सैटेलाइट को 2024 में आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किए जाने की उम्मीद है. समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सैटेलाइट कम से कम तीन साल तक काम करेगा. 'निसार' 12 दिन में पूरी दुनिया का नक्शा तैयार कर लेगा.






क्यों जरूरी है NISAR?


NISAR अंतरिक्ष में अपनी तरह का पहला रडार होगा जो व्यवस्थित रूप से पृथ्वी का मैप तैयार करेगा. NISAR पृथ्वी की सतह में परिवर्तन, प्राकृतिक खतरों और इकोसिस्टम में होने वाली गड़बड़ी के बारे में डेटा और जानकारी प्रदान करेगा. ये सैटेलाइट तेजी से भूकंप, सूनामी और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा.


NISAR डेटा का उपयोग फसल की वृद्धि, मिट्टी की नमी और भूमि उपयोग में बदलाव के बारे में जानकारी प्रदान करके कृषि प्रबंधन और खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिए भी किया जाएगा. NISAR पृथ्वी की सतह पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की निगरानी और समझने में मदद करेगा, जिसमें ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्र के स्तर में वृद्धि और कार्बन भंडारण में परिवर्तन शामिल हैं.


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