NISAR Satellite: नासा और इसरो का रडार NISAR पहुंचा बेंगलुरु, जानें क्या हैं इसकी खासियत
NASA ISRO Satellite: इन दोनों रडार प्रणालियों में से एक नासा और दूसरे को इसरो ने बनाया है. सैटेलाइट को अमेरिकी वायु सेना के सी-17 लिफ्ट विमान से बेंगलुरु लाया गया.
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Satish Dhawan Space Centre: नासा (NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बीच पृथ्वी-निरीक्षण मिशन पर पहले सहयोग के तहत दो रडार सिस्टम मिशन 2024 में लॉन्च के लिए बेंगलुरु पहुंच गए हैं. NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) मिशन बायोमास, प्राकृतिक खतरों, समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी और भूजल के बारे में जानकारी देने के लिए धरती के बदलती परिस्थितियों, बदलती सतहों और बर्फ के द्रव्यमान को मापेगा.
अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास ने ट्वीट किया, "एनआईएसएआर सैटेलाइट बेंगलुरु पहुंचा. इसरो ने कैलिफोर्निया में नासा से पृथ्वी का अवलोकन करने वाला उपग्रह प्राप्त किया, जिसे अमेरिकी वायु सेना के सी-17 विमान से लाया गया. यह दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग का एक सच्चा प्रतीक है." नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार सैटेलाइट को अगले साल यानी 2024 में लॉन्च किया जाएगा. यह सैटेलाइट नासा और इसरो के सहयोग से बनाया गया है, जिसको आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च जाने की उम्मीद है.
एक नासा तो दूसरे को इसरो ने बनाया
इसरो एनआईएसएआर का उपयोग कृषि मानचित्रण और भूस्खलन के जोखिम वाले क्षेत्रों का पता लगाने सहित विभिन्न उद्देश्यों के करेगा. इन दोनों रडार प्रणालियों में से एक नासा और दूसरे को इसरो ने बनाया है. दोनों सैटेलाइट को सोमवार (6 मार्च) को अमेरिकी वायु सेना के सी-17 लिफ्ट विमान से इसरो के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर लाया गया.
Touchdown in Bengaluru! @ISRO receives NISAR (@NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) on a @USAirforce C-17 from @NASAJPL in California, setting the stage for final integration of the Earth observation satellite, a true symbol of #USIndia civil space collaboration. #USIndiaTogether pic.twitter.com/l0a5pa1uxV
— U.S. Consulate General Chennai (@USAndChennai) March 8, 2023
सबसे उन्नत रडार सिस्टम होगा
NISAR के तहत नासा विज्ञान मिशन पर लॉन्च किया गया सबसे उन्नत रडार सिस्टम होगा. नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) ने एक बयान में कहा, बेंगलुरु में सुविधा के मुताबिर टीमें रडार सिस्टम को सैटेलाइट की बॉडी के साथ जोड़ देंगी और इसे अपने तीन साल के मिशन से पहले परीक्षण के जरिए चलाएंगी.
यह सैटेलाइट हर 12 दिनों में दो बार धरती की लगभग सभी जमीनी और बर्फीली की सतहों का निरीक्षण करेगा. यह बहुत बारीक नजर से धरती की गतिविधियों को मापेगा. साथ ही सैटेलाइट वैज्ञानिकों को पौधों और वातावरण के बीच कार्बन एक्सचेंज को समझने में मदद करने के लिए जंगलों और कृषि क्षेत्रों का भी सर्वेक्षण करेगा.
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