नई दिल्ली: निषाद पार्टी के इकलौते विधायक विजय मिश्रा को उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव में बीजेपी पक्ष में क्रॉस वोट करना महंगा पड़ा है. पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया है. हालांकि उनकी सदस्यता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
वोटिंग के चार दिन पहले ही उन्होंने एबीपी न्यूज़ पर एलान कर दिया था कि उनका वोट बीजेपी को जाएगा. बीजेपी को वोट देने के बाद विजय मिश्रा ने कहा था कि उन्होंने यह फैसला उन्होंने अंतर्आत्मा की आवाज पर लिया है. यह देश हित और समाज हित में उठाया गया कदम है.
विजय मिश्रा योगी कैंप में इतनी आसानी से इसलिए भी चले गये क्योंकि विधानसभा चुनाव के वक्त अखिलेश ने इनका टिकट काट दिया था. उस वक्त विजय मिश्रा ने अखिलेश यादव से अपनी जान को खतरा तक बता दिया था.
2002 से लगातार जीत रहे विजय मिश्रा भदोही के ज्ञानपुर से विधायक हैं. विजय मिश्रा की पत्नी विधान परिषद सदस्य हैं. इतनी ही नहीं उनकी बेटी 2014 का लोकसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं.
पूर्वांचल में विजय मिश्रा की गिनती बाहुबली नेताओं में होती है. इनके कद का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि राज्य में जब बीजेपी की लहर चल रही थी तब विजय मिश्रा ने निषाद पार्टी के टिकट पर लड़कर जीत हासिल कर ली.
2012 में विजय जेल से ही चुनाव जीत गये थे. विजय मिश्रा पर योगी सरकार में मंत्री नंद गोपाल नंदी पर रिमोट बम से हमला करने का आरोप है. विजय मिश्रा पर दो दर्जन से ज्यादा केस चल रहे हैं. इसके साथ ही उन पर आय से अधिक संपत्ति का भी मामला चल रहा है.
विजय मिश्रा के बीजेपी के करीब आने की शुरुआत पिछले महीने 6 फरवरी को हुई थी. इलाहाबाद में नितिन गडकरी के कार्यक्रम में विजय मिश्रा न सिर्फ पहुंचे बल्कि पैर छूकर गडकरी से आशीर्वाद लिया. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें अपने पाले में कर लिया.