Nishikant Dubey in Loksabha: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन न्यू एजुकेशन पॉलिसी और परिसीमन का विरोध कर रहे हैं. स्टालिन का कहना है कि एनईपी के जरिए उन पर हिंदी थोपने की साजिश की जा रही है. तमिलनाडु सीएम का दावा है कि परिसीमन करके केंद्र सरकार उत्तर भारत के राज्यों में सीटों की संख्या बढ़ाएगी और दक्षिण के राज्यों में सीटें कम करेगी. इसको लेकर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने डीएमके सरकार पर चुनाव जीतने के लिए भावनाएं भड़काने का आरोप लगाया है.


बीजेपी सांसद ने सोमवार को दावा किया कि डीएमके नई शिक्षा नीति का विरोध करने के साथ-साथ देश की अन्य भाषाओं का भी विरोध कर रही है. उन्होंने लोकसभा में कहा, 'द्रमुक पार्टी केवल भावना भड़काने का काम कर रही है. तमिल पुरानी भाषा है, लेकिन संस्कृत उससे भी पुरानी भाषा है. देश के किसी भी मंदिर में चले जाएं, तमिल, तेलुगु, कन्नड किसी भी भाषा वाले क्षेत्र में चले जाएं, सभी मंदिरों में आज भी पूजा संस्कृत में ही होती है.'


चुनाव हारने के डर से NEP और परिसीमन का विरोध: निशिकांत दुबे


नई शिक्षा नीति और केंद्र सरकार की त्रिभाषा नीति का विरोध किए जाने को लेकर बीजेपी सांसद ने कहा, 'ये (DMK) चुनाव हारने के डर से एनईपी और परिसीमन का विरोध कर रहे हैं.' उन्होंने दावा किया कि 1973 में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सीटें बढ़ाईं, लेकिन तमिलनाडु में सीटें नहीं बढ़ाई, उसके बावजूद डीएमके, कांग्रेस के साथ सरकार चला रही है.


देश पर अंग्रेजी थोपना चाहती है डीएमके: निशिकांत


दुबे ने कहा कि डीएमके राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध कर रही है. इसके साथ-साथ वो तेलुगु, मैथिली, संथाली, कन्नड समेत अन्य क्षेत्रीय भाषाओं का विरोध कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया, 'यह पार्टी देश के तानेबाने को तोड़ना चाहती है और अंग्रेजी को लागू करना चाहती है. यह केवल चुनाव जीतने के लिए भावना भड़का रही है.'


हिंदी और परिसीमन का विरोध क्यों कर रहे हैं स्टालिन?


तमिलनाडु में 2026 में विधानभा के चुनाव होंगे. उससे पहले परिसीमन और हिंदी का विरोध करके स्टालिन ने राज्य में अभी से चुनावी माहौल बना दिया है. ये दोनों ऐसे मुद्दे हैं, जिनका विरोध तमिलनाडु की विपक्षी पार्टियां भी नहीं कर सकती हैं.