NITI Aayog Report: अब गौशाला अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा! NITI आयोग ने कहा- 'गोबर और गोमूत्र का...'
NITI Aayog Task Force Report: नीति आयोग ने टास्क फोर्स की रिपोर्ट जारी की है. इसमें गाय के गोबर और गोमूत्र के इस्तेमाल से होने वाले फायदे बताए गए हैं.
NITI Aayog: नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (NITI) ने गौशालाओं की आर्थिक हालातों में सुधार को ध्यान में रखते हुए टास्क फोर्स की रिपोर्ट जारी की है. इसमें ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर के उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया गया है. नीति आयोग की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. नीलम पटेल ने कहा कि गाय के गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल सर्कुलर इकोनॉमी का एक आदर्श उदाहरण है जो वेस्ट टू वेल्थ (Waste to Wealth) के आइडिया को बढ़ावा देता है.
डॉ. पटेल ने गौशालाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने, आवारा मवेशियों की समस्या का समाधान करने और कृषि में गाय के गोबर और गोमूत्र के प्रभावी उपयोग के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि मवेशी भारत में पारंपरिक कृषि प्रणाली का एक अभिन्न अंग रहे हैं. गौशालाएं प्राकृतिक खेती और जैविक खेती को बढ़ावा देने में बहुत मदद कर सकती हैं. मवेशियों के वेस्ट (गोबर) एग्रोकेमिकल्स को कम कर सकते हैं.
क्या है दक्षिण एशियाई कृषि की ताकत?
पटेल ने कहा कि इसके अलावा यह आर्थिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण और स्थिरता कारणों से पौधों के पोषक तत्वों और पौधों की सुरक्षा के रूप में भी काम कर सकते हैं. उन्होंने इस दौरान टास्क फोर्स के सदस्यों, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और गौशालाओं के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में रिपोर्ट जारी की. नीति आयोग के बाकी सदस्यों ने इस बात पर जोर डाला कि दक्षिण एशियाई कृषि की अनूठी ताकत फसलों के साथ पशुधन का एकीकरण है.
वहीं, डॉ. वाईएस परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय सोलन के कुलपति डॉ. राजेश्वर सिंह चंदेल ने हिमाचल प्रदेश के अनुभवों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि टास्क फोर्स की रिपोर्ट जैविक और ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के साथ वेस्ट से पैसा कमाने की पहल को मजबूत करेंगे.