मुंबई: गडकरी ने बताई अपने मंत्रालय की सबसे बड़ी असफलता, ये बताया कैसे होंगे सफल
केंद्रीय मंत्री अपनी सीधी और बेलाग बातों के लिए जाने जाते हैं. किसी मसले पर सवाल का गोलमोल जवाब देने के बजाए कमियों को स्वीकारने में पीछे नहीं रहते.इस बार जब उनसे आंकड़ों के हवाले से सवाल पूछा गया तो उन्होंने माना कि विभाग की कमजोरी है. जिसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग की संख्या बढ़ाने पर जोर देना होगा.
मुंबई: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपनी सीधी और सपाट बात करने के लिए जाने जाते हैं. इस बार उन्होंने एक अवार्ड समारोह में अपने मंत्रालय की कमियों को माना है. उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय पांच साल के कार्यकाल में सड़क दुर्घटना और इसके कारण होनेवाली मौत को कम करने में नाकाम साबित हुआ है. गडकरी ने जोर देते हुए कहा कि सड़क दुर्घटना और इससे होने वाली मौत में कमी लाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग की संख्या बढ़ानी पड़ेगी.
गडकरी ने अपने विभाग की कमी को माना
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रोड सेफ्टी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया में सड़क दुर्घटना के मामले में सबसे ऊपर है. दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं के कारण जितनी मौतें होती हैं उनमें से 11 फीसद मौत भारत में हो रही है. इस पर गडकरी ने कहा, "हादसों और इनसे होने वाली मौतों की संख्या में मामूली गिरावट के बावजदू स्थिति अभी भी भयंकर बनी हुई है." उन्होंने कहा कि भारत में हर साल पांच लाख हादसे हो रहे हैं.
हर साल सड़क दुर्घटनाओं के कारण 1.5 लाख लोगों की मौत हो रही है. पिछले तीन महीनों में पहली बार हादसों और मौतों की संख्या में कमी दर्ज की गई है. उन्होंने माना कि उनका विभाग सड़क दुर्घटना और इससे होनेवाली मौत की संख्या कम नहीं कर पाया. उन्होंने हादसों से GDP को जोड़ते हुए दावा कि भारत को इससे 2 प्रतिशत का नुकसान हो रहा है.
राष्ट्रीय राजमार्ग की संख्या बढ़ाने पर रहेगा जोर
भारत में सड़कों का जाल फैला हुआ है. राष्ट्रीय राजमार्ग की भारत के रोड नेटवर्क में 1.94 फीस की हिस्सेदारी है. 2018 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क दुर्घटनाओं के 30. 2 फीसद मामले सामने आए जबकि मौत का आंकड़ा 35. 7 फीसद दर्ज किया गया. गडकरी ने कहा कि इन हादसों पर रोक लगाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग की संख्या बढ़ानी पड़ेगी. उन्होंने कहा, "हमारे देश में कुल 52 लाख किलोमीटर की सड़कें बनी हैं.
इनमें से केवल 96,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग हैं. इसलिए इनकी संख्या बढ़ाकर दो लाख किलोमीटर करने का फैसला लिया गया है. मुझे लगता है कि अगले पांच सालों में 80 प्रतिशत ट्रैफिक हाइवे पर होगा."
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