'दो पत्नियां रखने की अनुमति...', लिव इन रिलेशन और समलैंगिक विवाह पर क्या बोले गडकरी
Nitin Gadkari News: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लिव-इन रिलेशनशिप और समलैंगिक विवाह को भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं के खिलाफ बताया और इसे भारतीय मूल्यों से विपरीत करार दिया.
Nitin Gadkari On Live In Relationships: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में लिव-इन रिलेशनशिप और समलैंगिक विवाह पर खुलकर अपनी राय रखी. उन्होंने लिव इन रिलेशनशिप और समलैंगिक शादी को गलत मानते हुए उसे के नियमों के उलट बताया है. गडकरी के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ गई है.
गडकरी ने अपनी ब्रिटेन यात्रा का जिक्र करते हुए वहां की संस्कृति और भारत की संस्कृति के बीच तुलना की. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन जैसे देशों में लिव-इन रिलेशनशिप और समलैंगिक विवाह को सामान्य माना जाता है. उन्होंने सवाल उठाया "यदि आप विवाह नहीं करेंगे, तो आपके बच्चे कैसे होंगे? ऐसे बच्चों का भविष्य क्या होगा और यह समाज पर कैसा प्रभाव डालेगा?" उन्होंने इसे सामाजिक परंपराओं के लिए खतरा बताया.
भारतीय समाज और परंपरा
गडकरी ने संतुलित लैंगिक अनुपात बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि यदि समाज में 1,500 महिलाएं और 1,000 पुरुष होंगे, तो परिस्थितियां ऐसी हो सकती हैं कि "पुरुषों को दो पत्नियां रखने की अनुमति देनी पड़ सकती है." गडकरी ने भारत की पारिवारिक संरचना को मजबूत बताते हुए कहा कि शादी और रिश्तों की हमारी परिभाषा सामाजिक और नैतिक मूल्यों पर आधारित है. उन्होंने कहा "हमारे नियम और परंपराएं लिव-इन और समलैंगिक विवाह के विचारों का समर्थन नहीं करते."
लिव-इन रिलेशनशिप और समलैंगिक विवाह
भारत में सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी है. इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता के रूप में देखा जाता है, लेकिन इसे सामाजिक स्वीकृति अभी तक पूरी तरह नहीं मिली है.सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में धारा 377 को रद्द कर समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया. हालांकि, समलैंगिक विवाह को अभी तक कानूनी मान्यता नहीं मिली है. पारंपरिक और धार्मिक समूह गडकरी के बयान का समर्थन कर रहे हैं. उनके अनुसार, ऐसे संबंध भारतीय समाज में पारिवारिक व्यवस्था को कमजोर कर सकते हैं.
तलाक पर नितिन गडकरी
नितिन गडकरी ने स्पष्ट किया कि तलाक पर प्रतिबंध लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है,उन्होंने कहा कि तलाक का फैसला व्यक्तिगत जीवन और परिस्थितियों पर निर्भर करता है, और इस पर रोक लगाना उचित नहीं होगा. उनके इस बयान को पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.