Election 2024: तेलंगाना से लेकर पश्चिम बंगाल और बिहार तक विपक्ष ने मोदी सरकार के खिलाफ गोलबंदी शुरू कर दी है. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर विपक्षी एकता की बात कही है जा रही है, लेकिन विपक्ष की तरफ से फिलहाल पीएम पद के कई दावेदार हैं. इसी बीच यूपी और बिहार की भी खूब चर्चा है. क्योंकि राजनीति में ये कहावत आम है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है... ऐसे में सत्ताधारी बीजेपी और तमाम विपक्षी दलों का पूरा फोकस यूपी पर ही रहने वाला है. 


नीतीश कुमार की तमाम विपक्षी दलों के नेताओं के साथ मुलाकात के बीच समाजवादी पार्टी के दफ्तर के बाहर लगे एक पोस्टर ने सुर्खियां बटोरीं. इस पोस्टर में नीतीश कुमार और अखिलेश यादव नजर आ रहे हैं और इस पर लिखा है - "यूपी+बिहार = गई मोदी सरकार"... सोशल मीडिया पर इस पोस्टर को खूब शेयर किया गया और चर्चा शुरू हो गई कि क्या वाकई में यूपी और बिहार मिलकर मोदी सरकार के विजय रथ को रोक सकते हैं? आइए आंकड़ों से समझते हैं कि ये कितना मुमकिन है.


बिहार में हो सकता है खेला?
बिहार में नीतीश कुमार ने हाल ही में बीजेपी से नाता तोड़कर आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बना ली. नीतीश एक बार फिर खुद सीएम बने और तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम का पद दिया गया. बीजेपी ने नीतीश कुमार को मनाने की तमाम कोशिशों कीं. यहां तक कि बीजेपी ने नीतीश के साथ मिलकर 2024 लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया था.  हालांकि आखिर में नीतीश कुमार नहीं माने और उनके इस बड़े फैसले ने बीजेपी के लिए तमाम समीकरण बदलकर रख दिए. 


क्या कहते हैं लोकसभा और विधानसभा चुनाव के आंकड़े
साल 2020 में बिहार विधानसभा के चुनाव हुए थे. इस चुनाव में बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा और सबसे ज्यादा सीटें हासिल कर सरकार बनाई. लेकिन इस चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में लड़ी नीतीश की जेडीयू का कद कम हो गया. नीतीश का हाथ पकड़कर चलने वाले बीजेपी को इस चुनाव में 74 सीटें मिलीं, जबकि जेडीयू 43 सीटों पर ही सिमट गई. वोट शेयर की अगर बात करें तो बीजेपी का वोट शेयर 19.46% रहा, जबकि जेडीयू को 15.39% वोट मिले. तेजस्वी यादव की आरजेडी को सबसे ज्यादा 75 सीटें मिलीं और वोट शेयर 23.11% रहा. 


अब बात लोकसभा चुनाव की करें तो 2019 में नीतीश और पीएम मोदी की जोड़ी ने तमाम समीकरणों को ध्वस्त करके रख दिया. इस चुनाव में क्लीन स्वीप देखने को मिला. कुल 40 लोकसभा सीटों में से 39 सीटों पर एनडीए को जीत मिली, जबकि महज एक सीट कांग्रेस के खाते में गई. वहीं आरजेडी का खाता तक नहीं खुल पाया. जेडीयू ने 16 और बीजेपी ने 17 सीटें जीतीं थीं. वोट शेयर की अगर बात करें तो बीजेपी का सबसे ज्यादा 24.0551 वोट शेयर था. इसके बाद जेडीयू का वोट शेयर 22.2625 था. तेजस्वी की आरजेडी को 15.681 फीसदी वोट मिले, लेकिन वो सीटों में तब्दील नहीं हो पाए. 


बीजेपी के लिए अकेले लड़ना दो धारी तलवार जैसा
अब अगर इस आंकड़े के हिसाब से देखें तो मौजूदा गठबंधन यानी नीतीश+तेजस्वी का पलड़ा भारी नजर आता है. क्योंकि बीजेपी ने नीतीश के साथ मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसका उसे सीधा फायदा भी हुआ. अब 2024 में पार्टी को अकेले चुनावी मैदान में उतरना है. जिससे बीजेपी को बड़े नुकसान का भी डर है. हालांकि इससे बीजेपी के पास बिहार में खुद का वजूद साबित करने का भी एक मौका मिलेगा. ऐसे में ये पार्टी के लिए दो धारी तलवार की तरह साबित हो सकता है. ये साफ है कि चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा जाएगा, जिसके बाद ये देखना दिलचस्प होगा कि मोदी मैजिक बिहार में चलता है या फिर नहीं. 


क्या कहते हैं यूपी के आंकड़े
बिहार के बाद अब सबसे बड़े राज्य यूपी की बात करते हैं. यहां भी वही पिक्चर नजर आती है, जो बिहार में दिखी. यानी विधानसभा चुनाव में तो विपक्ष मजबूत नजर आता है, लेकिन लोकसभा चुनाव की बात जब आती है तो बीजेपी के सामने दूर-दूर तक कोई नहीं दिखता है. उत्तर प्रदेश में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं. 2019 में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 62 सीटों पर जीत दर्ज की, जिसके चलते पार्टी प्रचंड बहुमत से केंद्र की सत्ता में आई. वहीं बीजेपी के बाद मायावती की पार्टी बीएसपी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की. अखिलेश की समाजवादी पार्टी को महज 5 सीटें मिलीं. कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट मिल पाई. 


वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी को सबसे ज्यादा 49.9767 फीसदी वोट मिले, इसके बाद बीएसपी का वोट शेयर 19.4269 फीसदी था. वहीं समाजवादी पार्टी को 18.1137% वोट शेयर मिला. कांग्रेस का वोट शेयर महज 6.3638 फीसदी था. 


पिछले लोकसभा चुनाव की ये तस्वीर साफ इशारा करती है कि बीजेपी उत्तर प्रदेश में काफी मजबूत है. वहीं 2022 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन भी विपक्ष के लिए कई संकेत देता है. यूपी की 403 सीटों में से बीजेपी ने अकेले 255 सीटें जीतीं, वहीं समाजवादी पार्टी को 111 सीटें मिलीं. कांग्रेस को महज दो सीटों पर जीत मिल पाई. यही वजह है कि अब बीजेपी का फोकस उन सीटों पर है, जहां पार्टी को छोटे अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. 


पिछड़े वर्ग के वोटों पर अखिलेश की नजर
यानी कुल मिलाकर यूपी में बीजेपी को नुकसान पहुंचाने के लिए अखिलेश यादव को हर मोर्चे पर काम करना होगा. इसके लिए उन्होंने शुरुआत भी कर दी है. चुनाव से ठीक पहले बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य को अखिलेश कोई बड़ा पद देने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर अखिलेश की तरफ से रोजाना बड़े हमले किए जा रहे हैं. उन्हें सपा में शामिल होने का ऑफर दिया जा रहा है. इससे ये साफ होता है कि अखिलेश की नजर पिछड़े वर्ग के वोटों पर है. अगर वो इस वर्ग के वोट अपनी तरफ खींचने में कामयाब होते हैं तो 2024 में बीजेपी को बड़ा डेंट लगा सकते हैं. 


अब इन आंकड़ों से आप ये समझ गए होंगे कि फिलहाल 2024 की क्या तस्वीर बनती नजर आ रही है. यानी विपक्ष को यूपी+बिहार के फॉर्मूले को पोस्टर से निकालकर जमीन पर उतारना होगा. क्योंकि बीजेपी भी तमाम समीकरणों को देखते हुए रणनीति बना रही है. ऐसे में अगर विपक्ष की रणनीति भी सटीक रही तो 2024 की लड़ाई दिलचस्प जरूर हो सकती है.


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