बिहार: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बेमौसम बरसात और ओला गिरने की वजह से हुए फसल के नुकसान की भरपाई के लिए पैकेज का एलान किया है. असामयिक बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को हुए नुकसान पर मदद के लिए 518.42 करोड़ रूपये दिए गए. मुख्यमंत्री ने प्रभावित किसानों के खाते में सीधे पैसा ट्रांसफर करने के आदेश दिए हैं.


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीएम आवास 1 अणे मार्ग में इस महीने असामयिक बारिश/ओलावृष्टि से हुई फसल क्षति के संबंध में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की. बैठक में 2020 के मार्च महीने में अब तक हुई असामयिक बारिश/ओलावृष्टि से फसल क्षति के संबंध में विस्तार से चर्चा हुई.


कृषि विभाग के अनुसार मार्च में 3,84,016.71 हेक्टेयर क्षेत्र में 33 फीसद से अधिक फसल का नुकसान हुआ. आपदा राहत मापदण्ड के अनुरूप 33 फीसदी से अधिक नुकसान होने पर 13,500 (तेरह हजार पांच सौ रूपये) प्रति हेक्टेयर की दर से कृषि इनपुट देने का प्रावधान है.


मुख्यमंत्री ने बैठक में ही प्रभावित किसानों को फसल नुकसान के भुगतान के लिये 518.42 करोड़ रूपये की स्वीकृति दे दी. साथ ही मुख्यमंत्री ने कृषि सचिव को कहा कि स्वीकृत राशि बिना देर किए प्रभावित किसानों के खाते में ट्रांसफर की जाए.


दूसरी तरफ जीएसटी के विवादित मामलों की एकमुश्त समाधान योजना की अंतिम तारीख को तीन महीने आगे बढाया गया. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया कि कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थिति में लॉकडाउन के कारण जीएसटी पूर्व के बकाए कर के विवादित मामलों के निपटारे के लिए लाई गई ‘एकमुश्त समाधान योजना’ की अवधि तीन महीने के लिए आगे बढ़ा दी गई है.


15 जनवरी से शुरू हुई इस योजना के अन्तर्गत टैक्स भरने वालों को विवादित कर राशि का 35 और ब्याज व दंड का मात्र 10 प्रतिशत जमा करना था. आवेदन करने की अंतिम तिथि 25 मार्च तय की गई थी.


इस योजना के अन्तर्गत अभी तक 23,965 करदाताओं ने आवेदन दिया था, जिसमें 604.84 करोड़ की विवादित, जिसमें 155.06 करोड़ सेटलमेंट की राशि भी शामिल है. आवेदनों में से अभी तक कुल 6080 मामले निपटा लिए गए हैं, जिससे 20 करोड़ की राशि जमा हुई है. बकाए कर की राशि में से 59.66 करोड़ पहले ही मिल चुकी है. 75 करोड़ की बकाया राशि को वसूल किया जाना बाकी है.

1 जुलाई 2017 से जब जीएसटी लागू की गई तो, उसके पूर्व के वैट, इंट्री टैक्स, लक्जरी टैक्स और एंटरटेनमेंट टैक्स आदि करीब आधे दर्जन अधिनियमों को उसी में शामिल कर दिया गया. मगर वैट के दौर के बकाए करों के विवाद का निपटारा नहीं हो सका. उसी के लिए एकमुश्त समाधान योजना लाई गई है.


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