(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
क्या नीतीश-नायडू के चलते बड़े फैसलों पर यू-टर्न लेने पर मजबूर है मोदी सरकार? केंद्रीय मंत्री ने दिया जवाब
Bhupender Yadav On Coalition Government: केंद्रीय मंत्री ने कहा हम अपना काम कर रहे हैं. लेकिन राज्यसभा में विपक्ष के एक नेता आकर मेज पर खड़े हो गए. क्या विपक्षी नेताओं को इस तरह से व्यवहार करना चाहिए?
Bhupender Yadav News: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार (6 सितंबर) को एक इंडिया सस्टेनेबिलिटी मिशन कॉन्क्लेव के कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के पहले दो कार्यकालों के दौरान महत्वपूर्ण फैसले लेने से पहले हमेशा पार्टी लाइन से परे नेताओं के साथ आम सहमति बनाने की दिशा में काम किया है.
एनडीटीवी में एक इंटरव्यू के दौरान केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से पूछा कि क्या इस बार केंद्र में गठबंधन पिछले कार्यकाल के बाद से बीजेपी की संख्या में कमी के कारण सरकार से कुछ फैसले वापस लेने में सफल हो पाया है? इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा,"जब हमारे पास 303 सीटें थीं, तब भी हमने हमेशा गठबंधन को साथ लेकर चले. आज भी, सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद, हम गठबंधन में शामिल सभी लोगों को साथ लेकर चलने में विश्वास करते हैं.
मोदी सरकार चर्चा और बहस के लिए हमेशा तैयार
जब केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से पूछा गया कि संसद की कार्यवाही और खासकर बीजेपी द्वारा केंद्र में सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों की मदद लेने के बाद विपक्ष के आक्रामक व्यवहार कैसा रहता है. इस पर भूपेंद्र यादव ने कहा कि वे चर्चा और बहस के लिए हमेशा तैयार हैं. उन्होंने कहा, हम संसद चलाते रहते हैं. जबकि, विपक्ष इसमें बाधा डालते रहते हैं.
क्या विपक्षी नेताओं को इस तरह से व्यवहार करना चाहिए?
केंद्रीय मंत्री ने कहा, हम अपना काम कर रहे हैं. लेकिन राज्यसभा में विपक्ष के एक नेता आकर मेज पर खड़े हो गए. क्या विपक्षी नेताओं को इस तरह से व्यवहार करना चाहिए? क्या शिष्टाचार बनाए रखना भी उनकी जिम्मेदारी नहीं है?
लेटरल एंट्री पर सरकार ने लिया यू-टर्न
हाल ही में मोदी सरकार ने यूपीएससी में लेटरल एंट्री को लेकर हुए बवाल ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया. क्योंकि, सरकार ने 45 पदों पर लेटरल एंट्री का प्रस्ताव दिया था, लेकिन विपक्ष के विरोध के बाद उसे वापस लेना पड़ा. जबकि, विपक्ष का कहना था कि सरकार आरक्षण खत्म करने की कोशिश कर रही है. सरकार ने 45 पदों पर लेटरल एंट्री के जरिये एक्सपर्ट्स को नियुक्त करने की बात कही थी. इन पदों पर आरक्षण का प्रावधान लागू नहीं था.विपक्ष ने इस पर तुरंत एतराज जताया और इसे आरक्षण खत्म करने की साजिश बताया.
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