बिहार: कोरोना के प्रकोप को देखते हुए बिहार सरकार ने राज्य में महामारी रोक अधिनियम को लागू कर दिया है. इस बारे में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अधिसूचना जारी कर दी गई है. सरकार ने माना कि इस समय जो कानून है उससे कई ज़रूरी प्रावधानों को लागू नहीं किया जा सकता है. इसलिए 'Epidemic Diseases Act, 1897' यानी महामारी रोक अधिनियम (1897 का केंद्रीय अधिनियम 3) की धारा 2, 3 और 4 के तहत प्रदत्त शक्तियों के तहत, बिहार सरकार ने कोरोना के संबंध में एक अधिनियम जारी किया है जो “The Bihar Epidemic Diseases, Covid-19 Regulation 2020” के नाम से जाना जाएगा.
इस अधिनियम के अंतर्गत अधिकृत अधिकारियों में राज्य के स्तर पर डायरेक्टर इन चीफ (Infectious Diseases), जिला स्तर पर डीएम, सिविल सर्जन, एडिशनल चीफ मेडिकल ऑफिसर तथा विभिन्न सब डिविजन एवं प्रखंडो में एसडीएम और मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज को स्वास्थ्य विभाग द्वारा नामित किया जाएगा.
अधिनियम में अस्पतालों के लिए और कोरोना से रोकथाम के लिए कई नियम बनाए गए हैं. किसी भी मीडिया के उपयोग से अफवाह फैलाए जाने की रोकथाम के लिए भी कड़े नियम बनाए गए हैं. कोरोना की जांच के लिए लैब भी सरकार द्वारा अधिकृत होगी. कोरोना पीड़ित देशों से लौटे लोगों को लिए भी सख्त हिदायत दी गई है. कोरोना के रोगियों की पहचान होने पर किन नियमों का पालन करना है, इसको भी विस्तारपूर्वक इस अधिनियम में शामिल किया गया है.
किसी भी व्यक्ति, संस्था या संगठन को इन अधिनियमों के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करते हुए पाए जाने की स्थिति में भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (1860 का 45) के तहत अपराध माना जाएगा. किसी भी व्यक्ति, संस्था या संगठन के खिलाफ प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य विभाग या जिलों के डीएम कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकते हैं. अगर इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए उन्हें दोषी पाया जाएगा या इस अधिनियम के तहत बिहार सरकार द्वारा आदेश जारी किया जाएगा. यह अधिनियम सरकार द्वारा अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से एक साल की अवधि के लिए वैध रहेगा.
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