JDU ने दो दिन में BJP को दे दी 2 बार टेंशन, क्या सावन में ही पाला बदल लेंगे नीतीश!
नीतीश कुमार के पलटी मारने के फिर से कयास लगने लगे हैं. दरअसल, जदयू ने बीजेपी को बड़ी टेंशन दी है. जदयू ने न सिर्फ योगी सरकार के कांवड़ रूट वाले फैसले पर सवाल उठाए, बल्कि एक और बड़ी मांग रख दी.
मोदी 3.0 सरकार मंगलवार को अपना पहला पूर्ण बजट पेश करेगी. लेकिन बजट सत्र शुरू होने से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने NDA में अपनी सहयोगी बीजेपी को दो दिन में दो बड़ी टेंशन दे डाली हैं. इसके बाद से एक बार फिर उनके पाला बदलने के कयास लगने लगे हैं.
नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने ऐसे वक्त पर पलटी के संकेत दिए हैं, जब पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से दो बड़े विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार के जल्द गिरने की भविष्यवाणी की है. दरअसल, टीएमसी की शहीद दिवस रैली में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया कि दिल्ली सरकार चलने वाली नहीं है, बल्कि ये गिरने वाली है. वहीं, ममता बनर्जी ने कहा,केंद्र की भाजपा नीत एनडीए सरकार लंबे समय तक नहीं टिकेगी क्योंकि यह डरा-धमका कर बनाई गई है.
जदयू ने दो दिन में दो बार दी बीजेपी को टेंशन
ममता बनर्जी और अखिलेश यादव की ये भविष्यवाणी सच होगी या नहीं ये तो समय ही बताएगा. लेकिन एनडीए में बीजेपी की सहयोगी जदयू ने दो दिन में बीजेपी को दो बार टेंशन जरूर दे दी है. दरअसल, बजट सत्र से पहले मोदी सरकार ने सर्दलीय बैठक बुलाई थी. इस बैठक में जदयू ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है. जदयू नेता संजय जा ने भी साफ कर दिया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना ही चाहिए. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर इसमें कोई तकनीकी कारण है तो बिहार को विशेष पैकेज मिलना चाहिए.
कांवड़ रूट पर नेमप्लेट वाले फैसले पर भी उठाए सवाल
इससे पहले जदयू ने यूपी की योगी सरकार के उस आदेश पर सवाल उठाए थे, जिसमें कांवड़ रूट पर पड़ने वाली दुकानों और खाने-पीने के स्टॉल पर मालिक की नेम प्लेट लगाने का आदेश दिया गया है. जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा, कांवड़ यात्रा सदियों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों से गुजर रही है और सांप्रदायिक तनाव की सूचना नहीं मिली. हिंदू, मुस्लिम और सिख भी स्टॉल लगाकर तीर्थयात्रियों का स्वागत करते हैं. मुस्लिम कारीगर भी कांवर बनाते हैं. ऐसे आदेशों से सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है.उन्होंने कहा, यूपी से बड़ी यात्रा बिहार में निकलती है लेकिन वहां इस तरह का कोई आदेश नहीं है. ये आदेश प्रधानमंत्री मोदी की 'सबका साथ-सबका विकास' वाली व्याख्या के विरुद्ध है और इस पर पुनर्विचार होना ही चाहिए क्योंकि हमारी कोशिश एनडीए को खुशहाल और मजबूत होते हुए देखना है.